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________________ चाहिये। वे हमारे मित्र की तरह होते हैं। उनके साथ करुणा और प्रेम का व्यवहार करना चाहिये। इसी प्रकार नौकरों और श्रमिकों के साथ भी पूर्ण मानवीय व्यवहार होना चाहिये। किसी की मजबूरी का अनुचित फायदा उठाना बध अतिचार है। 3. छविच्छेद : इस अतिचार के अन्तर्गत पशु आदि के अंगोपांग काटना, उनका छेदन करना, खस्सीकरण करना आदि सम्मिलित है। इसका लाक्षणिक अर्थ होता है - वृत्तिच्छेद, जिसका अत्यधिक आर्थिक मूल्य है। किसी की जीविका छीन लेना, जीविका में बाधा उत्पन्न करना, उचित पारिश्रमिकं से कम देना . छविच्छेद अतिचाए है। 4. अतिभार : मानवों और भारवाहक पशुओं पर अधिक भार नहीं डालना और क्षमता से अधिक काम नहीं करवाना इस अतिचार से बचने के लिए आवश्यक है। माल ढोने वाले श्रमिकों पर उनकी क्षमता से अधिक भार नहीं उठवाना तथा नौकरों से शक्ति से अधिक कार्य नहीं करवाना चाहिये। बालश्रम निषेध कानून, महिला श्रमिक कानून और कामकाजी गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष कानूनी प्रवधानों का इस सम्बन्ध में विशेष महत्व हैं। 5. भोजन-पानी का निरोध : इस अतिचार से बचने के लिए पालतू मूक पशुओं को समय पर चारा पानी देने का एवं नौकरों व दास-दासियों को समय पर भोजन और वेतन देने का निर्देश है। . अहिंसा अणुव्रत के जो अतिचार हैं, उनका वर्तमान में श्रम और सुरक्षा कानूनों की दृष्टि से बहुत मूल्य हैं। श्रमिकों के शोषण के विरुद्ध जो आवाज आज उठाई जाती है, श्रावकाचार में उसका प्रवधान ढाई हजार वर्ष पूर्व हो गया था। श्रावकाचार में तो मूक प्राणियों के हितों का भी बहुत खयाल रखा गया है। जिसका वर्तमान में अभाव देखा जाता है। हालांकि, पशु-पक्षी क्रूरता निवारण अधिनियम में पशु-पक्षियों पर होने वाली ज्यादतियों के निषेध के प्रावधान हैं। 2. सत्य इस व्रत के अन्तर्गत गृहस्थ जीवनभर के लिए दो करण तीन योग से स्थूल मृषावाद का त्याग करता है।” स्थूल मृषावाद के अन्तर्गत वे सारे झुठ आ जाते हैं, जो लोक-निन्दनीय और राज-दण्डनीय है। श्रावक प्रतिक्रमण में पाँच प्रकार के झूठ का त्याग करता है। (178)
SR No.004281
Book TitleJain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDilip Dhing
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2007
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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