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________________ सन्दर्भ ज्ञाताधर्मकथांग, अष्टम् अध्ययन सूत्रकृतांग सूत्र, 1/2/3/145 णायाधम्मकहाओ, 1/66 रायप्पसेणीय, 162 णायाधम्मकहाओ, 17/12 जैन, कमल (डॉ.) प्राचीन जैन साहित्य में आर्थिक जीवन, पृ.-120 7. राजप्रश्नीय सूत्र 164 8. ज्ञाताधर्मकथांग 17/14 1. उत्तराध्ययन टीका, पृ.-64 10. भगवती सूत्र 2/5/96 11. बहत्क्ल्प भाष्य 3/2300 12. औपपातिक सूत्र-40 और सूत्र 45 13. निरुत्तादि वत्तणी व जहा। बहत्कल्पभाष्य 1/189 14. मुद्रापट्टकं दूतपुरुषं वा मार्गयितव्याः, बहत्कल्पभाष्य 3/2787 15. बहत्कल्पभाष्य 1/260 16. कौटिलीय अर्थशास्त्र 2/4/22 17. पायाधम्मकहाओ, 8वाँ अध्ययन 18. णायाधम्मकहाओ, 15वाँ अध्ययन 19. जैन, कमल (डॉ.) प्राचीन जैन साहित्य में आर्थिक जीवन, पृ.-129 20. बहत्कल्पभाष्य 1.1776 21. निशीथ सूत्र 42 - तं जहा - गंगा, जउणा, सरऊ, एरावई, मही। 22. जैन, जगदीश चन्द्र (डॉ.) जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज पृ.-182 (171)
SR No.004281
Book TitleJain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDilip Dhing
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2007
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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