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________________ फसलें ___ आचारांग में बताया गया है कि शाक-सब्जी के खेतों में, बीज प्रधान . खेतों में तथा शालि, ब्रीहि, माश, मूंग, कुलत्थ, जौ-ज्वार आदि धान्यों के खेतों में साधु मल-मूत्रादि का विसर्जन नहीं करें। सूत्रकृतांग में शालि, व्रीहि, कोद्रव . (एक प्रकार का धान्य), कांगणी, परक, राल आदि प्रकार के धान्यों के खेतों का वर्णन है। वर्ष में दो और तीन फसलें प्राप्त की जाती थीं। चावल (शालि) की खेती उस समय बहुत की जाती थी। ज्ञाताधर्मकथांग में रोहिणी को प्रदत्त पाँच चावल के दाने रोहिणी के पीहर में अलग से बोये जाते हैं और पाँच वर्ष बाद श्वसुर धन्य सार्थवाह द्वारा पुनः माँगने पर गाड़ियाँ भरकर लौटाये जाते हैं। भारत के पूर्वीय प्रान्तों में कमलशालि (उत्तम जाति के बासमति चावल)1 पैदा होते थे। रक्तशालि, महाशालि और गंधशालि आदि अनेक प्रकार की चावलों की किस्में होती थीं 2 शालि के अलावा व्रीहि और अणु शब्द चावल की और अन्य किस्मों के लिए प्रयुक्त हुए हैं। लोग विधि पूर्वक खेती करते थे, जिससे फसल अच्छी और भरपूर होती थी। अन्य बहुत प्रकार के धान्यों और चीजों की खेती की जाती थी। विभिन्न धान्य .. प्राचीन जैन ग्रन्थों में सत्रह प्रकार के धान्यों का वर्णन है- ब्रीहि (चावल), यव (जौ), मसूर, गोधूम (गेहूँ), मुद्ग (मूंग), माब (उड़द), तिल, चणक (चना), अणु (चावल का एक प्रकार), प्रियंगु (कंगनी), कोद्रव (कोदों), अकुष्ठक (कुट्ट), शालि (चावल), आढकी, कलाय (मटर), कुलत्थ (कुलथी) और सण (सन)। अन्य धान्यों में निष्पाप, आलिसंदग (सिलिन्द), सडिण (अरहर), पलिमंथक (काला चना), अतसी (अलसी), कुसुम्ब (कुसुम्बी), कंगु, रालग (कंग की एक प्रजाति) सर्शप (सरसों), हिरिमंथ (गोल चना), बुक्कस, पुलाक (निस्सार अन्न) आदि सम्मिलित हैं। इन धान्यों में किसी-न-किसी रूप में करीब सभी प्रकार के धान्य, दलहन और तिलहन समाहित हो जाते हैं। ये धान्य विभिन्न वातावरण, मौसम और भूमि के अनुसार उगाये जाते थे। इससे विभिन्न परिस्थितियों में कृषि की समृद्ध परम्परा का पता चलता है। मसालें ग्रन्थों में अनेक प्रकार के मसालों के वर्णन मिलते हैं। यथा- श्रृंगवेर (अदरक), सुंठ (सूंठ), लवंग (लौंग), हरिद्रा (हल्दी), वेसन (जीरकलवणादि), (94)
SR No.004281
Book TitleJain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDilip Dhing
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2007
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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