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________________ 48 + प्राकृत पाठ-चयनिका अहं तव धम्मायरिएणं जाव महावीरेणं सद्धिं विवादं करेत्तए" // 219 // तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए गोसालं मङ्खलिपुत्तं एवं वयासी। "जम्हा णं, देवाणुप्पिया, तुब्भे मम धम्मायरियस्स जाव महावीरस्स सन्तेहिं तच्चेहिं तहिएहिं सब्भूएहिं भावेहिं गुणकित्तणं करेह, तम्हा णं अहं तुब्भे पाडिहारिएणं पीढ जाव संथारएणं उवनिमन्तेमि। नो चेव णं धम्मो त्ति वा तवो त्ति वा। तं गच्छह णं तुब्भे ममकुम्भारावणेसु पाडिहारियं पीढफलग जाव ओगिण्हित्ताणं विहरह" // 220 // तए णं से गोसाले मङ्खलिपुत्ते सद्दालपुत्तस्स समणोवासयस्स एयमटुं पडिसुणेइ, 2 त्ता कुम्भारावणेसु पाडिहारियं पीढ जाव ओगिण्हित्ताणं विहरइ // 221 // तए णं से गोसाले मङ्खलिपुत्ते सद्दालपुत्तं समणोवासगं जाहे नो संचाएइ बहूहिं आघवणाहि य पण्णवणाहि य सण्णवणाहि य विण्णवण्णाहि य निग्गन्थाओ पावयणाओ चालित्तए वा खोभित्तए वा विपरिणामित्तए वा, ताहे सन्ते तन्ते परितन्ते पोलासपुराओ नयराओ पडिणिक्खमइ, 2 त्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ // 222 // तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स समणोवासयस्स बहूहिं सील जाव भावेमाणस्स चोद्दस संवच्छरा वीइक्कन्ता। पण्णरसमस्स संवच्छरस्स अन्तरा वट्टमाणस्स पुव्वरत्ता- वरत्तकाले जाव पोसहसालाए समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्णत्तिं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ // 223 // तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स समणोवासयस्स पुव्वरत्तावरत्तकाले एगे देवे अन्तियं पाउब्भवित्था // 224 // तए णं से देवे एगं महं नीलुप्पल जाव असिंगहाय सद्दालपुत्तं समणोवासयं एवं वयासी। जहा चुलणीपियस्स तहेव देवो उवसग्गं करेइ। नवरं एक्केक्के पुत्ते नव मंससोल्लए करेइ। जाव कणीयसं घाएइ, 2 त्ता जाव आयञ्चइ // 225 // तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए अभीए जाव विहरइ // 226 / /
SR No.004279
Book TitlePrakrit Path Chayanika Prarambhik Pathyakram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB L Institute of Indology
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year2012
Total Pages350
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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