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________________ // चारों गतिमें आहार-अनाहारक व्यवस्था विषयक यन्त्र / जातिनाम जाहार लोमाहारा प्रक्षेपाहार सचित्त अचित्त मिश्र आभोग अनाभोग xxx 1 उसका काल आहार अनाहारक | (व्यवहार अन्तर समय | नयसे) सतताहारी | विग्रह गतिको | अधिकसे | पानेवाले जीव अधिक चार समय | 1 | 4 | 1 | 1 अंतर्मु. / केवली | 3-4-5 1 / 1 | 1 | . समुद्घातमें | ये तीन x | 1 | 2 अहोरात्र | १४वें गुण- समय | ठाणपर शैलेशी- अत्यन्त 3 अहोरात्र | करणमें | अल्प | अंतर्मुहूर्त पूर्वके यंत्र | सिद्धस्थानपर सादि अनंत | 1 | के अनुसार | वर्तित जीव | काल तक 1 1 1 एकेन्द्रिय अपर्याप्ताको / शरीर पर्या. ,, पर्याप्तावस्थामें यावत् | स्वभवपर्यंत 2 विकलेन्द्रिय अपर्याप्ताको 1 " x | 1 , पर्याप्ताको x भवपर्यत स्वभवपर्यंत 3 पंचे. तिथंच अपर्याप्ताको | 1 " , पर्याप्ताको भवपर्यत | भवपर्यंत 4 पंचे. मनुष्य अपर्याप्ताको | 1 " , पर्याप्ताको भवपर्यत भवपर्यंत 5 देव अपर्याप्ताको , पर्याप्ताको 6 नारक अपर्याप्ताको ___, पर्याप्ताको | भवपर्यत ܐ ~ x x x चारों गतिमें आहार-अनाहारक व्यवस्थाविषयक यन्त्र ] . . गाथा-२८८ [ 371 ܘ ܝ ܚ x x x x - - - - xxxxx ܚ भवपर्यंत X ܚ x x x x ~ X ܚ ܚ X 1 | 1 | 1 अन्तर्मु.
SR No.004267
Book TitleSangrahaniratna Prakaran Bruhat Sangrahani Sutra
Original Sutra AuthorChandrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1984
Total Pages756
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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