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________________ 182 ] बृहत्संग्रहणीरत्न हिन्दी [गाथा 83-85 . 145 सूर्यका समावेश हो सके। ऐसा उत्तर आएगा / इस तरह प्रथम पंक्तिमें 145 सूर्य और 145 चन्द्र होते हैं। .: . अब अवशिष्ट सात पंक्तियों में सूर्य-चन्द्रकी संख्याका विचार करें / दूसरी पंक्ति प्रथम पंक्तिसे एक लाख योजन दूर जाने पर वहाँ परिरयाकारमें (गोलाकारमें ) मिलती है / उस स्थानकी परिधि गणितकी दृष्टिसे प्रथम पंक्तिकी परिधिकी अपेक्षासे-क्षेत्रके विष्कम्भमें वृद्धि होनेसे-प्रथम पंक्तिकी परिधिकी अपेक्षासे बड़ी होती है। ऐसा सामान्य नियम है कि 'जिस क्षेत्रका जितना विष्कम्भ हो उससे लगभग त्रिगुण ऊपरांत परिधि होती है। इस नियमानुसार दूसरी पंक्तिकी परिधि 15178932 योजन प्रमाण आती है। और चन्द्रसे चन्द्रका तथा चन्द्रसे सूर्यका और सूर्यसे सूर्यका तथा सूर्यसे चन्द्रका अन्तर तो प्रथम पंक्तिमें बताया (एक दूसरेको 50 हजार, परस्पर साधिक लाख योजन) उतना ही है / अतः (इस दूसरी पंक्तिका परिधि विशेष होनेसे ) इस पंक्तिमें प्रथम पंक्तिकी अपेक्षासे छः चन्द्र तथा छः सूर्य अधिक होते हैं / यहाँ विचार करनेसे यह स्पष्ट समझा जा सकता है कि-प्रथम पंक्तिकी परिधिसे दूसरी पंक्तिकी परिधि साधिक छः लाख योजन अधिक है / अतः दोनों बाजू पर लाख-लाख योजन प्रमाण क्षेत्रविष्कम्भ बढ़नेसे 2 लाख योजन क्षेत्र बढे तब 'त्रिगुण' नियमानुसार उस स्थानका परिधि 632455 योजन, 2 कोस, 54 धनुष, 27 अंगुल होता है। एक चन्द्रसे सूर्यका अन्तर पचास हजार योजन है, अतः उतने अधिक क्षेत्रमें छः चन्द्र और छः सूर्यकी संख्या वृद्धि हुई। और वह भी वास्तविक है / अर्थात् प्रथम पंक्तिमें ज्यों 145 चन्द्र और 145 सूर्य हैं त्यों दूसरी पंक्तिमें 151 चन्द्र और 151 सूर्य हैं / तीसरी पंक्ति दूसरी पंक्तिसे 1 लाख योजन दूर है / उसकी परिधि साधिक 15811387 योजन प्रमाण होती है, जिससे दूसरी पंक्तिसे सात चन्द्र और सात सूर्यकी संख्याका बढ़ावा होता है, अतः तीसरी पंक्तिमें 158 चन्द्र और 158 सूर्य होते हैं / इस तरह आगेकी पंक्तियोंके लिए भी सोच लें / अर्थात् दो पंक्तियों में छः छः चन्द्र-सूर्यकी संख्या बढावे और तदनन्तर एक पंक्तिमें सूर्य-चन्द्रकी सात संख्या बढावे / इस तरह करनेसे चौथी पंक्तिमें (तीसरी पंक्तिके 158+6= ) 164 चन्द्र और 164 सूर्य होंगे। पांचवीं पंक्तिमें (चौथी पंक्तिके 164+6=) 170 चन्द्र और 170 सूर्य प्राप्त होंगे। छठी पंक्तिमें (पाँचवीं पंक्तिके 170+7= ) 177 चन्द्र और 177 सूर्य प्राप्त होंगे / सातवीं पंक्तिमें (छठी पंक्तिके 177+6= ) - 183 चन्द्रों और 183 सूर्योकी संख्या होगी, और आठवीं पंक्तिमें (सातवीं पंक्तिके 183+6=)
SR No.004267
Book TitleSangrahaniratna Prakaran Bruhat Sangrahani Sutra
Original Sutra AuthorChandrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1984
Total Pages756
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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