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________________ 20. [ हस्त [ पूषा णा ठा 5 / हस्ताकारवत् / हस्त 21. चित्रा पे पो रा रि | 1 | मौक्तिकाकारवत् | मुखमंडन | 4. गोसीसावलीकाहार सउणि पुप्फोवधार वावी य / नावा आसव खंवे भा छुरधारा य सगडुद्धी // 1 // मिगसीसावलि रुहिरबिंदु तुल वद्धमाणग पडागा पागारे पलियंके हत्त्ये मुहपुष्फए चेव // 2 // कीलग दामणि एगावली य गयदंत विच्छुअअले य / गयविक्कमे य तत्तो सीहनिसाई य संठाणा // 3 // 176 ] बृहत्संग्रहणीरत्न हिन्दी 22. स्वाति | रु रे रो ता प्रवालाकारवत् | कीलक 23. विशाखा | ती तू ते तो कारवत् पशुदमनाकार अनुराधा | ना नी नू ने 4 मण्याकारवत् एकावली [ज्योतिषकर. पृ. 73 j 25. ज्येष्ठा | नो या यी यु | 3 | कुंडलाकारवत् | गजदेताकार 26.| मूल ये यो भा भी | 11 | सिंह पंजाकारवत् | वृश्चिकपुच्छाकार | पूर्वाषाढा भू धा फ ढा / शय्याकारवत् गजविक्रमाकार / इति चतुर्थ नक्षत्र विचारे लघु परिशिष्टम्॥ झूलतेगजाकारवत् | सिंहनिषदनाकार | [ गाथा 80-81 28.| उत्तराषाढा | भे भो जा जी / 4 /
SR No.004267
Book TitleSangrahaniratna Prakaran Bruhat Sangrahani Sutra
Original Sutra AuthorChandrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1984
Total Pages756
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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