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________________ मोक्ष-सिद्धि केसाधन : पंचविध आचार यंत्र-चालक पुजों और मशीन को चलाये नहीं तो लाभ की अपेक्षा हानि ही अधिक ___ एक इंजीनियर ने किसी रोग-निवारक दवाई के उत्पादन के लिए एक बड़ी मशीन लगाई। उस मशीन के पाँच बड़े-बड़े पुर्जे हैं। यदि वह इंजीनियर मशीन को चलाए ही नहीं; केवल दिखाने के लिए या प्रसिद्धि के लिए अथवा राज्य सरकार से बड़ी रकम पाने के लिए उस मशीन को एक मकान में पड़ी रखे, तो उससे न तो उत्पादन होगा, न ही प्रदर्शन से उस मशीन से होने वाला कोई अर्थलाभ होगा और प्रसिद्धि भी तभी तक सम्भव है, जब तक समझदार लोगों को पता न लगे, जब तक उक्त मशीन के चालक की कलई नहीं खुले। सरकार भी जाँच-पड़ताल के बाद उक्त मशीन को चलाने के लिए बड़ी रकम लोन देगी, परन्तु ज्यों ही सरकार को पता चलेगा कि मशीन ठप्प पड़ी है, कम्पनी बोगस है, तब वह तुरन्त ब्याज-सहित रकम वसूल कर सकती है। मशीन भी चलाये बिना पड़ी-पड़ी जंग खाकर खराब हो सकती है। परन्तु मान लो, वह मशीन-चालक पाँच बड़े पुों में से अमुक दो, तीन या चार पुों को ही चलाये, अथवा अमुक-अमुक पुर्जा चले ही नहीं तो मशीन भले ही नई हो, चलेगी नहीं। इसलिए मशीन-चालक यदि मशीन के पुजों को बार-बार सँभाले नहीं, कि मशीन ठीक तरह से चल रही है या नहीं, पाँचों बड़े पुर्जे काम कर रहे हैं या नहीं? तब इस प्रकार की लापरवाही से मशीन के बिगड़ने, उत्पादन ठप्प होने और हानि होने की बहुत अधिक सम्भावना है। मुमुक्षु आत्मा भी ज्ञानादि पंचाचारयुक्त आचारयंत्र को क्रियान्वित न करे तो हानि ही ठीक इसी प्रकार मुमुक्षु साधक आत्मारूपी इंजीनियर के द्वारा आध्यात्मिक दिशा में गति-प्रगति के लिए, संवर, निर्जरा और मोक्ष के उत्पादन (उपार्जन) के .लिए अथवा आत्मा के निजी गुणों-सम्यग्ज्ञान, सम्यग्दर्शन, सम्यक्चारित्र, सम्यक्तप और सम्यक्बलवीर्य (शक्ति) में, उपयोगपूर्वक आचरण का पराक्रम न किया जाये तो उसकी आचाररूपी मशीन ठप्प हो जायेगी। १. अनन्त ज्ञान, अनन्त दर्शन, अनन्त अव्याबाध (आत्मिक) सुख और अनन्त बलवीर्य (आत्म-शक्ति), ये चार आत्मा के निजी गुण हैं। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004249
Book TitleKarm Vignan Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year
Total Pages534
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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