SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 378
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ के अन्तर्गत समझनी चाहिए । प्रवचन सारोद्धार भाग 1, गाथा 433-439 प्र.1307 चैत्यवंदन महाभाष्यनुसार जिनाशातना कितनी प्रकार की होती है ? चैत्यवंदन महाभाष्यनुसार जिनाशातना पांच प्रकार की होती है । आसायणा अवन्ना, अणायरो भोग, दुप्पणीहाणं । अणुचियवित्ती सव्वा, वज्जेयत्वा पयत्तेण ॥ अर्थात् अवज्ञा, अनादर, भोग, दुष्प्रणिधान और अनुचित प्रवृत्ति ये पांच जिनाशातना है। प्र.1308 अवज्ञा आशातना किसे कहते है ? उ.. परमात्मा के सम्मुख पाँव पसार कर बैठना, पालथी लगाकर बैठना, जिन बिम्ब की ओर पीठ करके बैठना, जिन बिम्ब से उच्च आसन लगाकर बैठना आदि, अवज्ञा आशातना कहलाती है ।चैत्यवंदन महाभाष्य गाथा 60 प्र.1309 अनादर आशातना से क्या तात्पर्य है ? उ. जैसा तैसा हल्का वस्त्र धारण कर मंदिर में जाना, इच्छानुसार अमर्यादित अवस्था में मंदिर जाना, पूजा के समय का ख्याल न रखकर इच्छित काल (अकाल समय) में पूजादि करना, भावशुन्य होकर पूजा करना आदि, अनादर आशातना है। प्र.1310 भोग आशातना में किन-किन आशातनाओं का समावेश होता है ? भोग आशातना में निम्न दस आशातनाओं का समावेश होता है -तंबोल, (पान, मुखवास आदि खाना) 2. पान (जलादि पेय पदार्थ पीना) 3. भोजन 4. उपानह (जुते पहनना) 5. मैथुन 6. शयन 7. निट्टवण (थूकना) 8. मुत्त (पेशाब करना) 9. उच्चार (शौच करना) 10. द्यूत (जूआ खेलना) । चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी • 363 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy