SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 108
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अर्थात् टीकानुसार सफेद और शुभ उज्ज्वल के अलावा दूसरे उत्तम जाति के लाल, पीले आदि रंग वाले वस्त्र युगल (धोती व खेस) पूजा में उपयोग करने चाहिए। प्र.381 पुरुष व महिला वर्ग को कितने कपड़े पहनकर ( धारणकर) पूजा करने का विधान हैं ? उ.. पुरुष वर्ग को दो कपड़े (धोती व दुपट्टा (खेस)) व महिला वर्ग को तीन (साडी, पेटीकोट व ब्लाउज) मर्यादित कपड़े व मुख कोश धारण करके परमात्मा की पूजा करनी चाहिए। प्र382 किस दिशा में मुख करके पूजा के वस्त्र धारण करने चाहिए ? उ. उत्तर दिशा में मुख करके पूजा के वस्त्र धारण करने चाहिए । प्र383 द्रव्य स्नान करने के पश्चात् भी अंग पूजा किस अवस्था (दशा) में नहीं करनी चाहिए ? उ. द्रव्य स्नान करने के पश्चात् भी क्षत-विक्षत हुए शरीर के अंग, प्रत्यंग से यदि खुन-मवाद रिस (निकल) रहा हो तो ऐसी परिस्थिति में परमात्मा की अंग पूजा नही करनी चाहिए । शरीर की अपवित्र दशा परमात्मा की - आशातना का कारण बनती है। स्वद्रव्य (चन्दन, केसर, पुष्पादि) अन्य को देकर परमात्मा की पूजा करवा सकते है। 4384 क्षत-विक्षत अवस्था में हम कौनसी पूजा कर सकते है ? उ... अग्र पूजा व भाव पूजा कर सकते है, क्योंकि इन पूजाओं में परमात्म प्रतिमा का स्पर्श, जो आशातना का कारण है, वह आवश्यक नहीं है । प्र385 पूजा करते समय किन-किन बातों का त्याग करना चाहिए ? उ. श्राद्ध दिन कृत्यानुसार - चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी 93 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy