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________________ शताब्दी में बहुत कुछ लिखा परन्तु उपलब्ध निम्न ग्रन्थ ही हैं, जिनका निर्देश इस प्रकार हैउपलब्ध वृत्तियाँ-कोष्ठक में श्लोक प्रमाण दिये हैं। १. भगवती सूत्र-द्वितीयशतक वृत्ति (३७५०) २. राजप्रश्नीयोपाङ्ग टीका (३७००) ३. जीवाभिगमोपाङ्ग टीका (१६०००) ४. प्रज्ञापनोपांग टीका (१६०००) . ५. चन्द्रप्रज्ञप्त्युपाङ्ग टीका (९५००) ६. सूर्यप्रज्ञप्त्युपाङ्ग टीका (९५००) ७. नन्दी-सूत्र टीका (७७३२) ८. व्यवहार-सूत्र वृत्ति (३४०००) ९. बृहत्कल्प पीठ की वृत्ति (अपूर्ण) (४६००) १०. आवश्यक वृत्ति (अपूर्ण) (१८०००) पिण्डनियुक्ति टीका (६७००) १२. ज्योतिष्करण्डक टीका (५०००) १३. धर्म संग्रहणी वृत्ति (१००००) १४. कर्मप्रकृति वृत्ति (८०००) १५. पञ्च संग्रह वृत्ति (१८८५०) १६. षडशीति वृत्ति (२०००) १७. सप्ततिका वृत्ति . (३७८०) १८. वृहत्संग्रहणी वृत्ति (५०००) १९. वृहत्क्षेत्रसमास वृत्ति (९५००) २०. मलयगिरि शब्दानुशासन (५०००) अनुपलब्ध वृत्तियाँ १. जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति, २. ओघ नियुक्ति, ३. विशेषावश्यक, ४. तत्त्वार्थाधिगम ११. सूत्र। मलधारी हेमचन्द्र और उनकी वृत्तियाँ आगम ज्ञाता के रूप में प्रसिद्ध आचार्य हेमचन्द्र अपने समय के प्रतिभा सम्पन्न आगम वेत्ता थे। अभयदेव सूरि के पश्चात् मलधारी आचार्य हेमचन्द्र ने कई ३८ आचाराङ्ग-शीलाङ्कवृत्ति : एक अध्ययन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004238
Book TitleAcharang Shilank Vrutti Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajshree Sadhvi
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2001
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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