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________________ राम आदि का माताओं को नमस्कार राम, लक्ष्मण एवं सीता ने अपनी माताओं का चरणस्पर्श किया। विशल्या आदि नूतन पुत्रवधुओं ने भी अपनी सासुओं को प्रणाम कर उनके आशीर्वाद प्राप्त किए। कौशल्या ने अपने भ्राता की सेवा व सहवास के लिए राजसुखों का त्याग करने वाले लक्ष्मण की प्रशंसा की। लक्ष्मण ने राम एवं सीताजी की स्नेहादरपूर्ण प्रशंसा की। अपनी लघुता बताते हुए उन्होंने कहा, “माता! सीताजी के अपहरण के लिए मैं ही उत्तरदायी हूँ। Jain Education International 305/ नये शस्त्र का प्रयोग करने के लिए उत्सुक बनकर मैंने ही शंबूक का वध किया था। तभी से सीताहरण की प्रकिया का आरंभ हुआ। परंतु आपके आशीर्वादों से हम विशाल सागर लाँघकर लंका पहुँचे व विजयश्री प्राप्त कर पुनः लौटे हैं।" विनयशील भारत ने राम के पुनरागमन के उपलक्ष्य में अयोध्या में एक महान उत्सव का आयोजन किया। SHOO For Personal & Private Use Only 24 79 PILIR www.jainelibrary.org
SR No.004226
Book TitleJain Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year2002
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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