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________________ प्रथमा बहुवचन 1/2 (क) अम्ह (मैं) (तीनों लिंग) - अम्हे / अम्हई (प्रथमा बहुवचन) द्वितीया बहुवचन 2/2 (ख) अम्ह ( मैं ) ( तीनों लिंग ) - अम्हे / अम्हइं (द्वितीया बहुवचन) 23. (क) द्वितीया एकवचन 2 / 1 (ख) तृतीया एकवचन 3 / 1 ( ग ) सप्तमी एकवचन 7/1 अपभ्रंश भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग और स्त्रीलिंग अम्ह सर्वनाम के द्वितीया विभक्ति एकवचन, तृतीया विभक्ति एकवचन तथा सप्तमी विभक्ति एकवचन में 'मई' होता है। (क) अम्ह (मैं) (तीनों लिंग) (ग) तृतीया एकवचन 3 / 1 (ख) अम्ह (मैं) (तीनों लिंग ) - मई (तृतीया एकवचन ) 24. 25. द्वितीया एकवचन 2/1 (36) 1 • मई (द्वितीया एकवचन ) सप्तमी एकवचन 7/1 अम्ह (मैं) (.तीनों लिंग) - मई ( सप्तमी एकवचन) तृतीया बहुवचन 3 / 2 अपभ्रंश भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग और स्त्रीलिंग अम्ह सर्वनाम के तृतीया विभक्ति बहुवचन में 'अम्हेहिं' होता है। अम्ह (मैं) (तीनों लिंग) - अम्हेहिं (तृतीया बहुवचन) Jain Education International (क) पंचमी एकवचन 5 / 1 ( ख ) षष्ठी एकवचन 6/1 अपभ्रंश भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग और स्त्रीलिंग अम्ह सर्वनाम के पंचमी विभक्ति एकवचन तथा षष्ठी विभक्ति एकवचन में 'महु', और 'मज्झ' होते हैं। अपभ्रंश - हिन्दी For Personal & Private Use Only -व्याकरण www.jainelibrary.org
SR No.004214
Book TitleApbhramsa Hindi Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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