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________________ अकारान्त सर्वनाम (पु., नपुं.) सप्तमी एकवचन 7/1 3. अपभ्रंश भाषा में अकारान्त पुल्लिंग और नपुंसकलिंग सव्वादि सर्वनामों के सप्तमी विभक्ति एकवचन में 'हिं' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसे अकारान्त सर्वनाम (पु.) सप्तमी एकवचन 7/1 (क) सव्व (सब) (पु.) (सव्व+हिं) = सव्वहिं (सप्तमी एकवचन) इयर (दूसरा) (पु.) (इयर+हिं) = इयरहिं (सप्तमी एकवचन) अन्न (दूसरा) (पु.) (अन्न+हिं) = अन्नहिं (सप्तमी एकवचन) पुव्व (पहला) (पु.) (पुव्व+हिं) = पुव्वहिं (सप्तमी एकवचन) स (अपना) (पु.) (स+हिं) = सहिं (सप्तमी एकवचन) त (वह) (पु.) (त+हिं) = तहिं (सप्तमी एकवचन) ज (जो) (पु.) (ज+हिं) = जहिं (सप्तमी एकवचन) क (कौन,क्या) (पु.) (क+हिं) = कहिं (सप्तमी एकवचन) एक्क (एक) (पु.) (एक्क+हिं) = एक्कहिं (सप्तमी एकवचन) अकारान्त सर्वनाम (नपुं.) सप्तमी एकवचन 7/1 (ख) सव्व (सब) (नपुं.) (सव्व+हिं) = सव्वहिं (सप्तमी एकवचन) इयर (दूसरा) (नपुं.) (इयर+हिं) = इयरहिं (सप्तमी एकवचन) अन्न (दूसरा) (नपुं.) (अन्न+हिं) = अन्नहिं (सप्तमी एकवचन) पुव्व (पहला) (नपुं.) (पुव्व+हिं) = पुव्वहिं (सप्तमी एकवचन) स (अपना) (नपुं.) (स+हिं) = सहिं (सप्तमी एकवचन) त (वह) (नपुं.) (त+हिं) = तहिं (सप्तमी एकवचन) ज (जो) (नपुं.) (ज+हिं) = जहिं (सप्तमी एकवचन) अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण . (25) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004214
Book TitleApbhramsa Hindi Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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