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________________ [29] पृष्ठ 3९६-४१3 ३९६ ३९८ ३९९ ४०० ४०२ ४०४ ४०४ ४०५ ४०७ कं० विषय एगूणवीसइमो उद्देसओ : एकोनविंश उद्देशक २६०. प्रपाणक ग्रहण विषयक प्रायश्चित्त २६१. चतुर्विध संध्याओं में स्वाध्याय संबंधी प्रायश्चित्त २६२. अविहित काल में कालिक श्रुत मर्यादा उल्लंघन विषयक प्रायश्चित्त २६३. महामहोत्सवों के प्रसंग पर स्वाध्याय विषयक प्रायश्चित्त २६४. विहित काल में स्वाध्याय न करने का प्रायश्चित्त । २६५. अविहित काल में स्वाध्याय का प्रायश्चित्त २६६. वैयक्तिक अस्वाध्याय काल में स्वाध्याय का प्राचश्चित्त २६७. क्रमविरुद्ध आगम वाचना देने का प्रायश्चित्त २६८. अपात्र को वाचना देने एवं पात्र के न देने का प्रायश्चित्त २६९. वाचना प्रदान में पक्षपात का प्रायश्चित्त २७०. : अदत्त वाचना ग्रहण संबंधी प्रायश्चित्त .२७१. गृहस्थ से वाचना आदान-प्रदान विषयक प्रायश्चित्त २७२. पार्श्वस्थ सह वाचना आदान-प्रदान विषयक प्रायश्चित्त वीसइमो उद्देसओ-विश उद्देशक २७३. मायारहित एवं मायारहित दोष प्रत्यालोचक हेतु प्रायश्चित्त विधान । २७४. प्रस्थापना में दोष प्रतिसेवन : प्रायश्चित्त आरोपण २७५. द्वैमासिक प्रायश्चित्त : स्थापन-आरोपण - २७६. द्वैमासिक प्रायश्चित्त : प्रस्थापन : आरोपण : वृद्धि २७७. एकमासिक प्रायश्चित्त : स्थापन-आरोपण २७८. एक मासिक प्रायश्चित्त : प्रस्थापन : आरोपण : वृद्धि २७९. मासिक-द्वैमासिक प्रायश्चित्त : प्रस्थापन : आरोपण : वृद्धि ४०८ ४०९ ४११ ४१२ ४१४-४३२ ४१४ ४१९ ४२२ ४२४ ४२५ ४२६ ४२९ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004200
Book TitleNishith Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages466
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size9 MB
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