SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [28] पृष्ठ ३४९ ३५० ३५२ ३५४ ३५७ ३५८ ३५९ ३६० क्र० विषय . २३६.. इतरगण संक्रमण विषयक प्रायश्चित्त २३७. कदाग्रही भिक्षु के साथ आदान-प्रदान विषयक प्रायश्चित्त २३८. निषिद्ध क्षेत्रों में विहरण विषयक प्रायश्चित्त २३९. जुगुप्सित कुलों से आहारादि व्यवहार का प्रायश्चित्त २४०. पृथ्वी, शय्या एवं छींके पर आहार रखने का प्रायश्चित्त २४१. गृहस्थों के मध्य आहार करने का प्रायश्चित्त २४२. आचार्य, उपाध्याय के प्रति अविनयाचरण का प्रायश्चित्त २४३. मर्यादातिरिक्त उपधि विषयक प्रायश्चित्त २४४. विराधना-आशंकित स्थान पर परिष्ठापन विषयक प्रायश्चित्त सत्तरसमो उद्देसओ - सप्तदश उद्देशक २४५. निषिद्ध कार्य कुतूहलवश करने का प्रायश्चित्त २४६. साधु-साध्वी द्वारा परस्पर पाद-आमर्जन विषय प्रायश्चित्त २४७. समान आचार युक्त निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थी का स्थान न देने का प्रायश्चित्त २४८. मालोपहृत आहार ग्रहण विषयक प्रायश्चित्त - २४९. कोष्ठ स्थित आहार ग्रहण विषयक प्रायश्चित्त । २५०. उद्भिन्न-निर्भिन्न आहार ग्रहण विषयक प्रायश्चित्त २५१. सचित्त निक्षिप्त आहार ग्रहण विषयक प्रायश्चित्त २५२. शीतकृत आहार ग्रहण विषयक प्रायश्चित्त । २५३. तत्काल धोया पानी (धोवन) लेने का प्रायश्चित्त २५४. स्वयं को आचार्य गुणोपेत कहने का प्रायश्चित्त । २५५. प्रदर्शन एवं ध्वनिनिस्सरण विषयक प्रायश्चित्त । २५६. वाद्यादि ध्वनि के आसक्तिपूर्ण श्रवण का प्रायश्चित्त २५७. शब्द-श्रवण-आसक्ति विषयक प्रायश्चित्त । अट्ठारसमो उद्देसओ - अष्टादश उद्देशक २५८. नौका विहार विषयक प्रायश्चित्त २५९. नियम विरुद्ध वस्त्र ग्रहण विषयक प्रायश्चित्त ३६२ 3६५-3८५ ३६५ ..३६९ ३७० ३७१ ३७२ ३७३ ३७४ ३७५ ३७७ ३७८ ३७९ ३८० ३८२ 3८६-3९५ ३८६ ___ ३९४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004200
Book TitleNishith Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages466
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy