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________________ समवाय ६२ . २१३ MARATHerveer इकसठ ऋतु मास होते हैं अर्थात् ३५४ १२ दिन का एक चन्द्र संवत्सर होता है, इस प्रकार तीन चन्द्र संवत्सरों के १०६२ २६ दिन होते हैं। ३८३ दिन का एक अभिवर्द्धित संवत्सर होता है। दो अभिवर्द्धित संवत्सरों के ६. २६ दिन होते हैं। पांच संवत्सरों के कुल मिला कर १८३० दिन होते हैं। ऋतु मास ३० दिन का होता है। इसलिये इन में ३० का भाग देने से ६१ ऋतु मास होते हैं। इस प्रकार एक युग में ६१ ऋतुमास होते हैं। मेरु पर्वत का प्रथम काण्ड इगसठ हजार योजन का ऊंचा है। मेरु पर्वत के दो विभाग करने से पहला काण्ड ६१ हजार योजन का और दूसरा काण्ड ३८ हजार योजन का है। चन्द्र मण्डल को इगसठ भाग से विभाजित करने से छप्पन समांश रहते हैं। इसी तरह सूर्य को भी इगसठ भाग से विभाजित करने से ४८ :, समांश रहते हैं ॥ ६१॥ ___ विवेचन - यहाँ मेरु पर्वत को ९९००० योजन ऊँचा मान कर उसके दो विभाग किये , हैं। उनमें से पहला भाग ६१००० योजन का तथा दूसरा भाग ३८००० योजन का कहा है किनतु क्षेत्र समास में तो मेरु पर्वत को १००००० योजन का मान कर १००० योजन जमीन में यह पहला काण्ड है। दूसरा ६१००० योजन और तीसरा ३८००० योजन का है। चन्द्र मण्डल एक योजन के ५६, भाग चौड़ा है अतः सूर्य ४. भाग चौड़ा है यह समांश है। कोई अंश बाकी नहीं बचता है। ... बासठवां समवाय पंच संवच्छरिए णं जुगे बासद्धिं पुण्णिमाओ बासटुिं अमावसाओ पण्णत्ताओ। वासुपुजस्स णं अरहओ बासहिँ गणा बासढेि गणहरा होत्था। सुक्क पक्खस्स णं चंदे बासट्टि भागे दिवसे दिवसे परिवड्डइ। ते चेव बहुल पक्खे दिवसे दिवसे परिहायइ। सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु पढमे पत्थडे पढमावलियाए एगमेगाए दिसाए बासटैि विमाणा पण्णत्ता। सव्वे वेमाणियाणं बासटुिं विमाण पत्थडा पत्थडग्गेणं पण्णत्ता ॥ १२ ॥ कठिन शब्दार्थ - बासहूिँ - बासठ, पुण्णिमाओ - पूर्णिमाएं, अमावसाओ - अमावस्याएं, सुक्कपक्खस्स - शुक्ल पक्ष का, परिवड्डइ - बढ़ता है, परिहायइ - घटता है, पढमावलियाए - प्रथम आवलिका-पहली पंक्ति में, विमाण पत्थडा - विमान प्रस्तट-प्रत्तर। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004182
Book TitleSamvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages458
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size10 MB
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