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________________ दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत् “कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[९४] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम् प्रत HASTMARE सूत्रांक/ गाथांक [९४] जीवंतेहिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारिअं पवइत्तए ॥९४॥ तएणं सा तिसला खत्तियाणी व्हाया कयबलिकम्मा कयकोउयमंगलपायच्छित्तो सवालंकारविभूसिया तं गभं नाइसीएहिं नाइउण्हेहिं नाइतित्तेहिं नाइकडुएहिं नाइकसाइएहिं नाइअंबिलेहिं नाइमहुरेहिं नाइनिबेहिं नाइलुक्खेहिं नाइउल्लेहिं नाइसुक्केहिं सबत्तुगभयमाणसुहेहिं भोयणच्छा-16) यणगंधमल्लेहिं ववगयरोगसोगमोहभयपरिस्समा जं तस्स गन्भस्स हिअं मियं पत्थं है। गब्भपोसणं तं देसे अ काले अ आहारमाहारेमाणी विवित्तमउएहिं सयणासणेहिं पइरिकसुहाएमणोऽणुकूलाए विहारभूमीए पसत्थदोहला संपुण्णदोहला संमाणियदोहला अविमाणिअदोहला वुच्छिन्नदोहला ववणीअदोहला सुहंसुहेणं आसइ सयइ चिट्ठइ निसीअइ तुयट्टइ विहरइ सुहंसुहेणं तं गब्भं परिवहइ॥९५॥तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं १ जाव (क० कि०) दीप अनुक्रम [९३] भ०महावीरस्य जन्म एवं तत् पूर्व-पश्चात स्थिते: वर्णनं ~ 54~
SR No.004148
Book TitleKALP Barsa SOOTRA
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages145
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size37 MB
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