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________________ आगम (१८) “जम्बूद्वीप-प्रज्ञप्ति” - उपांगसूत्र-७ (मूलं+वृत्ति:) वक्षस्कार [४], ----- -------- मूलं [१०२] + गाथा: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१८], उपांग सूत्र - [७] "जम्बूद्वीप-प्रज्ञप्ति" मूलं एवं शान्तिचन्द्र विहित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [१०२] श्रीजम्बू-18 द्वीपशान्तिचन्द्रीया दृचिः वक्षस्कारे पक्ष्माद्या वप्राधाव विजयाः सू.१०२ ॥३५७॥ गाथा: रायहाणी आसीविसे वक्खारपन्चए ५, कुमुदे विजए भरजा रायहाणी अंतोवाहिणी महाणई ६, णलिणे विजए असोगा रायहाणी सुहावहे वक्सारपब्बए ७, णलिणावई विजए बीयसोगा रायहाणी ८ दाहिणिल्ले सीओआमुहवणसंडे, उत्तरिलेवि एमेव भाणिअब्बे जहा सीआए, वप्पे विजए विजया रायहाणी चन्दे वक्खारपब्बए १, सुवप्पे विजए जयन्ती रायहाणी ओम्मिमालिणी णई २, महावप्पे विजए जयन्ती रायहाणी सूरे वक्खारपवए ३, वप्पावई विजए अपराइआ रायहाणी फेणमालिणी गई ४, बग्गू विजए चकपुरा रायहाणी णागे वक्खारपम्बए ५, सुवग्गू विजए खग्गपुरा रायहाणी गंभीरमा लिणी अंतरणई ६, गन्धिले विजए अवमा रायहाणी देवे वक्खारपम्बए ७, गंधिलाई विजए अओज्झा रायहाणी ८, एवं मन्दरस्स पव्वयस्स पञ्चस्थिमिलं पास भाणिअव्वं तत्थ ताव सीओआए णईए दक्खिणिल्ले णं कूले इमे विजया, तं-पम्हे सुपम्हे महापम्हे, चउत्थे पम्हगावई । संखे कुमुए णलिणे, अट्ठमे गलिणावई ॥१॥ इमाओ रायहाणीओ, तं०-आसपुरा सीहपुरा महापुरा चेव हवइ विजयपुरा । अवराइभा य अरया 'असोग तह वीअसोगा य ॥२॥ इमे वक्खारा, तंजहा-अंके पन्हे आसीविसे सुहाघहे एवं इत्व परिवाढीए दो दो विजया कूइसरिसणामया भाणिजव्या दिसा विविसाओ अ भाणिअव्वाओ, सीओभामुहवणं च भाणिअव्वं सीओभाए दाहिणिलं उत्तरितं च, सीओभाए उत्तरिले पासे इमे विजया, तंजहा-चप्पे सुवप्पे महावप्पे चउत्थे वप्पयावई ।वागू अ सुवम्गू अ, गंधिले गंधिलावई ॥१॥ रायहाणीओ इमाओ तंजहा-विजया वेजयन्ती जयन्ती अपराजिआ । चकपुरा खग्गपुरा हवइ अवज्ञा अउज्झा य ॥२॥ इमे वक्खारा तंजहा-चन्दपब्बए १ सूरपबर २ नागपञ्चए ३ देवपब्बए ४, इमामो गईओ सीओआए महाणईए दाहिणिले कूले-खीरोभा सीहसोभा अंतरवाहिणीओ गईमो ३, उम्मिमालिणी १ फेणमालिणी २ गभीरमालिणी ३ उत्तरिविजयाणन्तरा essese दीप अनुक्रम [१८७-१९३] 90000000000000000 ॥३५७॥ JinEleinitinIGU ~717~
SR No.004118
Book TitleAagam 18 JAMBUDWIP PRAGYPTI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1097
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size264 MB
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