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________________ आगम (१३) “राजप्रश्निय”- उपांगसूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:) --------- मूलं [२९] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१३], उपांग सूत्र - [२] "राजप्रश्नीय" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः श्रीराजप्रश्नी बलयगिरी प्रत सुत्रांक या वृत्तिः ॥६७॥ [२९] दीप तेतिणं तोरणाणं पुरओ दो दो सुपइट्ठा पन्नत्ता णाणाविहभंडविरइया इव चिटुंति सवरयणामया अच्छा जाव पडिरुवा । तेसिणं तोरणाणं पुरओ दो दो मणगुलियाओ पन्नत्ताओ, तामिण मणगुलियासु बहवे सुवन्नरूप्पमया फलगा पन्नत्ता, तेसु णं सुवन्नरूप्पमएसु फलगेसु बहवे वयरामया नागदंतया पन्नत्ता, तेसु णं वयरामएसु णागर्दतएसु बहचे वयरामया सिक्कगा पन्नना, तेसु णं वयरामएस सिक्कगेस किण्हसुत्नसिकगवच्छिता णीलसुत्तसिक्कगवच्छिया लोहियसुत्नसिकगवच्छिया हालिहसुत्नसिक्कगवच्छिया सुक्किलसुत्तसिक्कगवच्छिया बहवे वायकरगा पन्नना सवे वेरुलियमया अच्छा जाब पडिरूवा । तेसिणं तोरणाणं पुरओ दो दो चित्ता रयणकरंडगा पं० से जहाणामए रन्नो चाउरंतचक्कवट्टिस्स चिने रयणकरंडए वेरुलियमणिफलिहपडलपञ्चोयडे साते पहाते ते पतेसे सबतो समंता ओभासति उज्जोवेति तवति भासति एवमेव तेवि चित्ता रयणकरंडगा साते पभाते ते पएसे सबओ समंता ओभासंति उज्जोवेति तवंति पगासंति, तेमि ण तोरणाणं पुरओ दो दो हयकंठा गयकंठा नरकंठा किन्नरकंठा किंपरिसकंठा महोरगकंठा गंधवकंठगा उसभकंठा सबबयरामया अच्छा जाव पडिरुवा, तेसु णं हयकंठएसु जाव उसभकंठएसु दो दो पुष्फचंगेरीओ (मल्लचंगेरीओ) चुन्नचंगेरीओ (गंधचंगेरीओ)वत्थचंगेरीओ आभरणचंगेरीओ सिद्धत्थचंगेरीओ लोमहत्थचंगेरीओ पन्ननाओ सवरयणामयाओ अच्छाओ अनुक्रम [२९]] SARERatine मूल-संपादने अत्र शिर्षक-स्थाने सूत्र-क्रमांकने एका स्खलना दृश्यते यत् सू० २९ स्थाने सू० २८ मुद्रितं सूर्याभविमानस्य वर्णनं ~ 137~
SR No.004113
Book TitleAagam 13 RAJPRASHNIYA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages304
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_rajprashniya
File Size66 MB
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