SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 931
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (०५) "भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [९], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [३३], मूलं [३८३] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [३८३] एवं भासइत्ति, अस्थायमर्थः-'जनव्यूहः' जनसमुदाय बोलः-अव्यक्तवर्णो ध्वनिः कलकला-स एवोपलभ्यमानवचन|विभागः ऊम्मिः-सम्बाधः उत्कलिका-लघुतरः समुदायः संनिपातः-अपरापरस्थानेभ्यो जनानामेकत्र मीलनं आख्याति सामान्यतः भाषते व्यक्तपर्यायवचनतः, एतदेवार्थद्वयं पर्यायतः क्रमेणाह-एवं प्रज्ञापयति एवं प्ररूपयतीति, 'अहापडिरूवं' इह थावत्करणादिदं दृश्यम्- 'उग्गहं ओगिण्हति ओगिहित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे'त्ति, | 'जहा उववाइए'त्ति, तदेव लेशतो दश्यते-'नामगोयस्सवि सवणयाए किमंग पुण अभिगमणवंदणणमंसणपडिपुच्छणपझुवासणयाए एगस्सवि आयरियरस सुवयणरस सवणयाए ! किमंग पुण विउलस्स अट्टरस गहणयाए ?, तं गच्छामोणं है | देवाणुप्पिया! समणं ३ वंदामो ४ एवं णे पेच्च भवे हियाए ५ भविस्सइत्तिकहु बहवे उग्गा उग्गपुत्ता एवं भोगा राइन्ना ४ खत्तिया भडा अप्पेगइया बंदणवत्तियं एवं पूयणवत्तियं सक्कारवत्तिय (सम्माणवत्तियं) कोउहलवत्तियं अप्पेगतिया जीयमेयंतिकट्ठ ण्हाया कयवलिकम्मा इत्यादि 'एवं जहा उबवाइए' तत्र चैतदेवं सूत्र-तेणामेव उवागच्छंति तेणामेव : उवागच्छित्ता छत्ताइए तित्थयरातिसए पासंति जाणवाहणाई ठाईति'इत्यादि । 'अयमेयारूवेत्ति अयमेतद्पो वक्ष्यमाणस्वरूपः 'अज्झथिए'त्ति आध्यात्मिकः-आत्माश्रितः, यावत्करणादिदं दृश्य-चिंतिए'त्ति स्मरणरूपः 'पत्थिए'त्ति | प्रार्थितः-लन्धुं प्रार्थितः 'मणोगएत्ति अबहिन्प्रकाशितः 'संकप्पे'त्ति विकल्पः 'इंदमहेइ वत्ति इन्द्रमह-इन्द्रोत्सवः । 'खंदमहेइ वत्ति स्कन्दमहा-कार्तिकेयोत्सवः 'मुगुंदमहेइ बत्ति इह मुकुन्दो वासुदेवो बलदेवो वा 'जहा उबवाइए'ति | तत्र चेदमेवं सूत्रं-'माणा भटा जोहा मलाई लेच्छई अन्ने य बहवे राईसरतलवरमाइंबियकोडुंबियइम्भसेडिसेणाबाई'त्ति दीप अनुक्रम [४६३] जमाली-चरित्रं ~ 930~
SR No.004105
Book TitleAagam 05 BHAGVATI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1967
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size424 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy