SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 491
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५५४ भगवती सूत्र-श. ८ उ. १० कर्म-वर्गणाओं से आवद्ध जीव २५ उत्तर-हे गौतम ! आठ कर्मप्रकृतियां कही गई है। इस प्रकार वैमानिक पर्यन्त सभी जीवों के आठ कर्म-प्रकृतियां कही हैं। २६ उत्तर-हे भगवन ! ज्ञानावरणीय कर्म के कितने अविभागपरिच्छेद २६ उत्तर-हे गौतम ! अनन्त अविभागपरिच्छेद कहे है। . २७ प्रश्न-हे भगवन् ! नरयिक जीवों के ज्ञानावरणोय कर्म के कितने अविभागपरिच्छेद कहे हैं ? २७ उत्तर-हे गौतम ! अनन्त अविभागपरिच्छेद कहे हैं। इसी प्रकार सभी जीवों के विषय में कहना चाहिये । यावत् (प्रश्न.) वैमानिक देवों के विषय में प्रश्न ? (उत्तर) हे गौतम ! अनन्त अविभागपरिच्छेद कहे हैं। जिस प्रकार ज्ञानावरणीय कर्म के अविभागपरिच्छेद कहे, उसी प्रकार अन्तराय तक आठों कर्म-प्रकृतियों के अविभागपरिच्छेद-वैमानिक पर्यन्त सभी जीवों के कहना चाहिये। २८ प्रश्न-एगमेगस्स णं भंते ! जीवस्स एगमगे जीवपएसे णाणावरणिजस्स कम्मस्स केवइएहिं अविभागपलिच्छेदेहिं आवेटियपरिवेढिए ? २८ उत्तर-गोयमा ! सिय आवेढिय-परिवेटिए, सिय णो आवे. ढिय-परिवेढिए; जइ आवेढिय-परिवेढिए णियमा अणंतेहिं । २९ प्रश्न-एगमेगस्स णं भंते ! णेरड्यम्स एगमेगे जीवपएसे णाणावरणिजस्स कम्मस्स केवइएहिं अविभागपलिच्छेदेहिं आवेढियपरिवेटिए ? २९ उत्तर-गोयमा ! णियम अणतेहिं, जहा णेरइयस्स एवं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy