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________________ .. अध्यात्मवाद का सही अर्थ हैं जड़ चेतन सबकी स्वतन्त्र सत्ता स्वीकार करना और कार्यकारण भावको सहयोग प्रणाली के आधार पर स्वीकार करके व्यक्ति की स्वतन्त्रता को आंच न आने देना । - यदि हम इस आधार से विश्वकी व्यवस्था करने के लिये कटिबद्ध हो जाते हैं तो संसार की समस्त बुराइयाँ सुतरां दूर हो जाती हैं। ___शान्ति और सुव्यवस्था के साथ मानव मात्र को प्रत्येक क्षेत्र में समानता के अधिकार मिलें, कोई जाति पिछड़ी हुई, अछूत और अशिक्षित न रहने पावे, स्त्रियों का वर्तमान कालीन . असह्य अवस्था से उद्धार होकर पुरुषों के समान वे नागरिकता के सब अधिकार प्राप्त करें, सांप्रदायिकता का उन्मूलन होकर उसके स्थान में बन्धुत्व की भावना जागृत हो और वर्तमान कालीन आर्थिक व्यवस्था का अन्त होकर सर्वोपयोगी नयी व्यवस्था का निर्माण हो ये वर्तमान कालीन समस्यायें हैं जिनके हल करने में अध्यात्मवाद पूर्ण समर्थ है। पाठकों को वर्णी वाणी का इस दृष्टिकोण से स्वाध्याय करना चाहिये। मेरी इच्छा थी कि इसके कुछ चुने हुये वाक्य यहाँ दे दिये जाते किन्तु जब मैं वाक्यों को चुनने के लिये उद्यत होता हूँ तब यह निर्णय ही नहीं कर पाता कि किन वाक्यों को लिया जाय और किन्हें छोड़ा जाय । इसके प्रत्येक वाक्य से जीवन संशोधन की शिक्षा मिलती है। विश्व के साहित्य में इसे तामिल वेद की उपमा दी जा सकती है। इसके एक एक वाक्य में अमृत भरा पड़ा है। पूज्य श्री वर्णी जी ने अपने जीवन में सब समस्याओं पर बिचार किया है और अपने पुनीत उपदेशों द्वारा उन पर प्रकाश डाला है। यह उन उपदेशों का पिटारा है। इससे हमें स्वतन्त्रता त्याग, बलिदान, सेवा, कर्तव्यपरायणता, उदासीनता, भद्रता, भक्ति, मानवधर्म, सफलता के साधन आदि सभी उपयोगी विषयो की Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003997
Book TitleVarni Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1950
Total Pages380
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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