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________________ एक साथ स्वर्गवास हो गया । उन्होंने दूसरी शादी भी नहीं की । जब लोगों ने बहुत ज्यादा दबाव डाला दूसरी शादी के लिए तो उन्होंने कहा, मेरे माता-पिता और मेरे दो छोटे भाइयों ने संन्यास का महान जीवन धारण कर रखा है। अब मैं दूसरी शादी नहीं वरन् दूसरी तरह की सेवाओं में अपने आप को समर्पित करूँगा। आप यह जानकर ताज्जुब करेंगे कि हमें संन्यास लिए सताईस वर्ष हो गए मगर इसके बावजूद वे अपना हर रविवार हमारे पास बिताते हैं । हमारी और जितयशा फाउंडेशन की सारी सेवा मुख्यतः वे ही सम्हालते हैं। उन्होंने अपने लाखों रुपये तो अब तक केवल ट्रेवलिंग में खर्च कर दिए हैं। उन्हें सौंपा गया काम बस समझ लो हो गया पूरा । निश्चय ही कर्म करना यदि योग है तो वे पक्के कर्मयोगी हैं। 1 एक और आदरणीय महानुभाव का नाम उल्लेखित करना चाहूँगा -- श्रीमाणक जी संचेती। वे सी. ए. हैं। बड़े समाजसेवी और देव पुरुष हैं। रोजाना चार घंटे मानव सेवा और समाज सेवा के लिए समर्पित करते हैं। किसी समय उनकी पत्नी का भी स्वर्गवास हो गया था । उन्होंने भी दूसरी शादी नहीं की । स्वयं को समाज के ज़रूरतमंद लोगों की सेवा में लगा दिया। लोगों में उनकी पैठ भी इतनी अच्छी है कि लोग उन्हें सेवाकार्य में लगाने के लिए गड्डियों की गड्डियाँ थमा जाते हैं। भला जब धरती पर ऐसे सेवा भावी लोग रहते हैं तो वहाँ स्वर्ग का सुकून तो अपने आप ही उपलब्ध हो जाता है । आप देखिए कि आपके पास कितना समय ऐसा है जिसे कि आप अपने लिए एक्स्ट्रा समय समझते हैं। आप अपने आप को तौलिए और अपने समय को सार्थक दिशा प्रदान कीजिए । जहाँ मैं स्वयं को व्यस्त रखने की बात कह रहा हूँ वहीं स्वयं को हर हाल में मस्त रहने की भी सलाह दे रहा हूँ । हर हाल में मस्त रहना जीवन को सुखमय बनाने का सीधा सा उपाय है। स्वयं को Jain Education International 66 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003956
Book TitleKaise Banaye Aapna Career
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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