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________________ चाँटा मारते हैं या हाथ में माला लेकर भगवान जी के मंत्र का जाप करते हैं। वह अपने पर निर्भर करता है । हाथ में माचिस की तीली है, तीली से लोगों के घरों का अंधेरा दूर करते हैं या लोगों की झोंपड़ियों में आग लगाते हैं, यह हम पर आधारित है। कुदरत ने हमें लाठी दी है तो लाठी से हम किसी पर प्रहार करते हैं या किसी बूढ़े का सहारा बनते हैं, यह हमारी समझ पर निर्भर करता है। अगर कुदरत ने हमें जुबान दी है तो जुबान का हम सही इस्तेमाल करते हैं या ग़लत, यह सब कुछ हम पर आधारित है । इसलिए वाणी के ऐसे बीज बोओ, जिसके मधुर फल लौटकर आ सकें । यों तो बोलने के तरीके सबके अपने-अपने होते हैं। एक लड़का सड़क से गुज़र रहा था । उसने सामने से एक लड़की को गुजरते देखा तो बोल उठा ऐ मेरी जान। लड़के ने जैसे ही कहा ऐ मेरी जान... लड़की ने झट से कहा, बोल मेरे भाईजान । बोलने के सबके जुदा-जुदा तरीके। एक आदमी किसी नाई की दुकान पर पहुँचा और कहने लगा, क्या किसी गधे की हजामत बनाई है? उसने कहा साहब बनाई तो नहीं है, आप बैठिये कोशिश करता हूँ । तरीके अपने-अपने। एक आदमी किसी होटल में पहुँचा। उसने चार्ट-वार्ट देखा और पूड़ी, मटर पनीर की सब्जी आदि आइटम लिखा दिए। जब सब्जी आई तो मटर पनीर की सब्जी में पनीर तो कहीं नज़र ही नहीं आया। उसने कहा क्यों भाई ! तुम्हारे मटर-पनीर की सब्जी में पनीर तो कहीं नज़र ही नहीं आ रहा है । वेटर ने कहा आज तक आपने गुलाब जामुन में कभी गुलाब देखा है ? न I गुलाब है न जामुन है, पर नाम तो उसका गुलाब जामुन है । - एक सज्जन मेरे पास आए और कहने लगे साहब मेरे तो भाग ही फूटे, मैंने कहा भाई ऐसी क्या बात हो गई जो आपके भाग ही फूट गए। आपका माथा तो बिल्कुल सलामत दिखाई दे रहा है। कहने लगा- साहब, मैंने पहली शादी की, पत्नी मर गई । दूसरी शादी की वह फिर मर गई। तीसरी शादी फिर की 60 साल की उम्र में, वो भी मर गई, अब क्या करें? मैंने कहा- और कुछ नहीं, केवल नारी जाति पर दया करें । जैसा खायेंगे अन्न, वैसा होगा मन । जैसी बोलेंगे वाणी, वैसा मिलेगा पीने को पाणी । आप किस जाति के हैं, किस कुल के हैं यह आपकी जुबान से ही पता Jain Education International For Personal & Private Use Only | 99 www.jainelibrary.org
SR No.003864
Book TitleKaise Khole Kismat ke Tale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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