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________________ हो जाने पर डाँट लगाई, बेटा सामने बोला जा रहा था। मम्मी को आया गुस्सा । उसने दो थप्पड़ मारे । बेटे को तेज गुस्सा आया । वह घर से निकल गया । गाँव के बाहर चला गया। गुस्सा बहुत तेज था । जब भी किसी को गुस्सा तेज आता है तो बच्चे एक ही काम करते हैं, लड़कियाँ अमुमन खाना नहीं खातीं और लड़के घर छोड़कर चले जाते हैं। वो बच्चा भी घर से निकल गया, गाँव से बाहर चला गया जंगल में। गुस्सा इतना तेज था कि आँखें तरेर रहा था। यूँ गुर्रा रहा था मानो ... ! वह चिल्लाया - आई हेट यू, आई हेट यू । जैसे ही वो बोला 'आई हेट यू', जंगल में से वापस प्रतिध्वनि लौटकर आई 'आई हेट यू' । उसने एक बार कहा था आई हेट यू, जंगल में से बार-बार आवाज़ लौटी - आई हेट यू, आई हेट यू । बच्चा घबराया । वह रोने लगा। क्या बात है जंगल में रहने वाले बच्चे मुझसे नफ़रत करते हैं? मैने कहा आई हेट यू तो उन्होंने भी कहा आई हेट यू । लगता है जंगल के बच्चे मुझसे नफ़रत करते हैं । बच्चा घबराया और वापस दौड़कर मम्मी के पास आया। बच्चा माँ से झगड़ा कर कहीं चला जाए, लेकिन दुनिया से जब डरेगा तब माँ के आँचल में आकर शरण लेगा । बच्चा चला आया मम्मी के पास और आकर रोने लगा मम्मी, मम्मी, जंगल के बच्चे मुझसे नफ़रत करते हैं। माँ बोली, क्या हुआ बेटा! तुमने क्या किया? बच्चा बोला मम्मी ! मैंने कहा - आई हेट यू, तो जंगल के बच्चे मुझसे भी कहने लगे आई हेट यू, आई हेट यू । मम्मी ने कहा, 'बेटा घबरा मत, जंगल में जाकर इस बार बोल आई लव यू।' बच्चा जंगल में गया और जोर से बोलने लगा - आई लव यू । जंगल से वापस आवाज़ लौटकर आई - आई लव यू, आई लव यू, आई लव यू । बच्चा ख़ुश हो गया। दौड़ा-दौड़ा मम्मी के पास आया और कहने लगा मम्मी-मम्मी ! अब जंगल के बच्चे मुझसे प्यार करते हैं । - Jain Education International - मम्मी ने बच्चे के माथे पर प्यार से हाथ सहलाते हुए जीवन का बुनियादी पाठ पढ़ाया । माँ ने कहा – बेटा ! जिंदगी का आज पहला पाठ सीख लेना · लाइफ इज़ एन इको, जीवन एक अनुगूँज है। जैसा तुम बोलोगे वैसा ही तुम पर लौटकर आयेगा। अगर कहोगे आई हेट यू तो लौटकर आयेगा आई हेट यू और बोलोगे आई लव यू तो लौटकर आयेगा - आई लव यू । जैसा बोलोगे, वैसा लौटकर आयेगा। हालाँकि सबके बोलने के तरीके अपने - अपने होते हैं, लेकिन जैसा बोलोगे वैसा ही लौटकर आयेगा । सावधान ! कुदरत ने हमें हाथ दिए हैं, पर यह हम पर निर्भर करता है कि इन हाथों का कैसा उपयोग करें। किसी के गाल पर 98 | For Personal & Private Use Only - www.jainelibrary.org
SR No.003864
Book TitleKaise Khole Kismat ke Tale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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