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________________ चिंपाजी वन-मानुष और मनुष्य के जींस का पता लगाया तो पाया कि दोनों के जींस 98% एक जैसे हैं, लेकिन दो प्रतिशत जींस अलग हैं। वे जो दो प्रतिशत जींस अलग हैं उन्हीं दो प्रतिशत ने एक को इंसान बना दिया और दूसरे को केवल बंदर बना कर रख दिया। उस दो प्रतिशत जींस का ही यह परिणाम है कि इंसान सोच सकता है, बोल सकता है, किसी भी बिन्दु को समझ सकता है। ईश्वर ने इंसान को सोचने और बोलने की अद्भुत क्षमता प्रदान की है। किसी को छुटकी बहू सुहाती है, किसी को बड़की बहू सुहाती है। वजह, दहेज नहीं है। वज़ह बोलने की मिठास या बोलने की खटास है। संबंधों में मिठास या खटास बोली का कारण है। वे जो दुकानें सामने हैं; एक दुकान पर ग्राहक ज़्यादा हैं एक दुकान पर ग्राहक कम हैं, फ़र्क भाग्य का नहीं है। फ़र्क वाणी और व्यवहार का है। एक की अदब ग्राहक को बुलाती है, दूसरे की खड़ी बोली ग्राहक को भगाती है। ग्राहक तो वास्तव में लक्ष्मी जी का पुत्र है । ग्राहक को लौटाने का मतलब लक्ष्मी जी को लौटाना है। समाज में एक आदमी को देखते ही सम्मान मिलता है तो दूसरे को देखते ही दरवाजा बंद कर लिया जाता है। फ़र्क इज्जत का नहीं है। सारा फ़र्क इस जुबान बाई का है। जुबान अगर ठीक से चलती है तो छुटकी, छुटकी होकर भी सुहाती है। जुबान ठीक से न चले, तो बड़की बड़ी होकर भी फूटी आँख नहीं सुहाती। माल भले ही थोड़ा-सा हल्का हो, पर बोलने वाला आदमी थोड़ा वज़नदार है तो ग्राहक दुबारा, तिबारा उसके यहाँ आता है। समाज में भी जो आदमी इज़्ज़त और सम्मान से बोलता है, मधुर और मिठास से पेश आता है, वह समाज में भी सम्मानित और लोकप्रिय हो जाता है। अपने चेहरे को देखिये आपका चेहरा कैसा है? ज़्यादा चमकदार है, ज्यादा गुलाबी है या काला है? जैसा भी है खुद अपने चेहरे को देखिए। एक बात बुनियादी तौर पर बता देना चाहता हूँ कि इंसान की स्मार्टनेस इंसान के केरियर और इंसान की पर्सनलिटी के लिए, केवल 15% से 20% प्रतिशत महत्त्व रखती है, 80% प्रतिशत मूल्य तो वचन और व्यवहार का हुआ करता है। महिलाएं अपने होठों को लिपिस्टिक लगा कर गुलाबी या ग्लिसरीन लगाकर चमकदार बनाया करती हैं। होठों की खूबसूरती तो लिपिस्टिक से बन जाएगी, पर जिंदगी की खूबसूरती के लिए जुबान का खूबसूरत होना अनिवार्य शर्त है। अगर होठों की खूबसूरती ही आकर्षित करती हो, तब तो इसका मतलब यह हुआ कि हम सारे पुरुष किसी को प्रभावित कर ही नहीं सकते 94 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003864
Book TitleKaise Khole Kismat ke Tale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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