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________________ करते हैं, कपड़े चकाचक पहनते हैं। आजकल तो लोगों पर नेतागिरी का ऐसा चसका चढ़ गया है कि सारे लोगों के कपड़े सुपर वाईट ड्राईक्लीन में धुले हुए कलफ दिये हुए, प्रेस किये हुए चकाचक दिखते हैं । ऐसा लगता है, मंच पर खड़ा कर दो तो वही प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह जी दिखाई देने लग जायेगा, कोई राहुल गाँधी दिखाई देने लगता है। लोग इतने चकाचक रहने लगे गये हैं। मैं जिस बारे में आप लोगों को सचेत कर रहा हूँ वह है भीतर वाली चीज़ को चकाचक करो। इस भीतर वाली चीज़ में दम होना चाहिए। भीतर में है अगर दम, तो दम मारो दम, जो कुछ बोलोगे हर कुछ में होगा दम। ___ नगर पालिका शहर का कचरा साफ़ करती है, हम मानव-पालिका हैं, हम इंसानों के भीतर जमे कचरे को साफ करते हैं। बाहर का प्रदूषण धुंए का है, शोरगुल का है, भीतर का प्रदूषण दूषित विचारों का है, ईर्ष्या, क्रोध, वैमनस्य जैसे दूषित भावों का है। कृपया अपनी ब्रेन-वाशिंग कीजिए। अपनी मेंटेलिटी ठीक कीजिए। रोज़ ध्यान कीजिए, ताकि मानसिकता निर्मल हो। सत्संग में अच्छे विचारों के बीज मिलते हैं। दिमाग चार बीघा जमीन की तरह है। इसमें अगर अच्छे बीज बोओगे, तो अच्छे विचारों की फ़सल लहराएगी, नहीं तो झाड़झंखाड़ पैदा होते रहेंगे। आओ, सोच को अच्छा करें। ___ पहली बात, सोच को ठीक करने के लिए सबसे पहले आपके दिमाग़ में जो कुछ अब तक भरा हुआ है, उसे पहले बाहर निकाल फेंको। सबसे पहले तो जिनके प्रति अभी तक विरोध है उस विरोध को निकाल फेंको। जिनके प्रति द्वेष की ग्रंथियाँ बाँध रखी हैं, उन ग्रन्थियों को निकाल फेंको। केवल गुरु महाराजों के पास जाने का हुजूम इकट्ठा मत करो। सबसे पहले तो दिमाग़ में जो कचरा भरा है उसे निकाल फेंको। अब क्या होगा अगर आपने सत्संग सुन भी लिया, पर भीतर वही-का-वही कचरा भरा पड़ा है तो। गंदे प्याले में अगर अमृत भी डालोगे तो अमृत भी गंदा हो जाएगा। अगर नेगेटिव सोच के साथ गुरुजनों के पास चले भी गये, तब भी उनकी अच्छाइयाँ आप नहीं देखेंगे। उनके एक घंटे तक बोले शब्दों में अगर एक हल्का शब्द निकल गया तो उस एक शब्द की आप चिमटी भरते रहेंगे।'ओपन द डोर' पहले भीतर जो कचरा भरा पड़ा है, उसे निकालो। मैं तो कहूँगा, आप शाम को दुकान से घर भी जाएँ तो सीधा घर में मत घुस जाइएगा, क्योंकि आपके पास कई तरह के कचरे भरे पड़े हैं। इसलिए पहले घर के बाहर 84 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003864
Book TitleKaise Khole Kismat ke Tale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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