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________________ सोचना है या नकारात्मक सोचना है। सकारात्मक सोच का प्रभाव सेहत पर भी पॉजिटिव होगा, रिश्तों पर भी पॉजिटिव पड़ेगा, व्यापार में भी पॉजिटिव होगा, राजनीति में जा रहे हो तब भी पॉजिटिव होगा। सकारात्मक सोच के मेरे कई 'अमृत वचन' ऐसे हैं जो राजस्थान सरकार ने अपनी प्रत्येक ऑफिस में, प्रत्येक कलेक्ट्रेट में उनकी तख्तियाँ टाँग रखी हैं। सकारात्मक सोच से किस तरह से लोगों के रिश्ते सुधरे हैं, किस तरह से लोगों का जीवन सफल और धन्य हुआ है। यह बात तो अनेक ऑफिसर्स बता देंगे। इसलिए 'सकारात्मक सोचो' । सोचिये वही जिसे बोला जा सके और बोलिये वही जिसके नीचे हस्ताक्षर किये जा सकें।हर बात मत सोचिये। वे नासमझ होते हैं जो कहते हैं हूंडी लिखो।अरे, ज़बान मज़बूत होती है, ज़बान ही पलट डालोगे तो फिर कागज़ पर लिखे दस्तख़तों में दम ही क्या रह जाएगा। अपने द्वारा वही बोलो, जिसके नीचे मानो हमने दस्तख़त कर दिया है। अपने मुँह से बोल दिया यानी पत्थर की लकीर हो गई। बोलने से पहले दस दफ़ा सोचो, पर बोलने के बाद निकल गया सो निकल गया, पत्थर की लकीर हो गई। हो गया सो हो गया। कह दिया सो कह दिया। तो बोलो वही कि मानो हमने कोर्ट में खड़े होकर साइन कर दिये हों और सोचो वही जिसे बोलने की ताक़त रखते हो। यदि एक दूसरे के बीच में यह तालमेल अगर हम बिठाते हैं तो हमारी सोच, हमारी वाणी और हमारे आचार-व्यवहार तीनों में एकरूपता होगी। ज़रा सोच कर बताइये कि क्या सोच, शब्द और आचरण तीनों में एकरूपता का नाम ही धर्म नहीं है? क्या धर्म इसके अलावा कुछ कहता है कि जहाँ हमने कथनी और करनी दोनों को एक कर डाला। अब इसके अलावा धर्म का कौन-सा स्वरूप बचता है। आओ, हम लोग अपनी सोच को ठीक करते हैं, दिमाग पर गौर करते हैं और दिमाग को अन्दर से ठीक करते हैं। सारे लोग चेहरे को ठीक करने के लिए तो दिन भर लगा देते हैं। हर महिला के पर्स में पेपर-सोप होता है। जैसे ही कहीं मिलने के लिए जाना है झट से बाथरूम में गये एक पेपर-साबुन घिसी, मुँह रगड़ा और ये लीजिये नई दुल्हन की तरह तैयार । चेहरे को चमकाने के लिए इतना कुछ करते हैं, धन को कमाने के लिए हम लोग सुबह से लेकर रात तक गधा खाटणी' करते रहते हैं, जरुरत से ज्यादा मेहनत करते रहते हैं पर अपने दिमाग को, जिन विचारों से, जिस सोच से प्रेरित होकर हम अपना सारा जीवन जिया करते हैं उस सोच को ठीक करने के लिए हम कितना ध्यान देते हैं? लोग कपड़ों पर तो प्रेस 83 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003864
Book TitleKaise Khole Kismat ke Tale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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