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________________ वृक्ष लगाएँ। पेड़ पर नज़र डालो। उसे देखकर हमेशा सीख लेते रहिएगा कि वह कभी रुकता नहीं है । डालियाँ ऊपर बढ़ती हैं, जड़ें नीचे फैलती हैं। हर दिन पेड़ बढ़ता है, शाखाओं पर शाखाएँ बढाता चला जाता है। पत्ते पर पत्ते बढ़ाता चला जाता है । पेड़ फल भी पैदा करता है, फूल भी पैदा करता है। छाया भी देता है। पेड़ प्रतिपल प्रतिदिन संघर्ष करता है और तब कहीं जाकर आम का पेड़ आमों से आच्छादित होता है। हम भी शाखाएँ बनाएँ, प्रतिशाखाएँ बनाएँ। धीरज धरकर न बैठें। अगर आप लोग 70 साल की उम्र से पार लग गए तो संतोष धारण कीजिएगा, पर जब तक सत्तर साल की उम्र न आ जाए तब तक संतोष नहीं, तब तक केवल पुरुषार्थ करेंगे। फिर वह पुरुषार्थ चाहे भीतर का हो या बाहर का। पुरुषार्थ करो, निठल्ले मत बैठे रहो। याद रखना निठल्ला बैठना अच्छा तो लगता है, पर उस निठल्ले बैठने का कभी कोई परिणाम नहीं आता। __ मैंने अपनी माँ से बचपन में एक कहानी सुनी है कि एक महिला ने अपने पति से कहा था कि तुम दिन भर घर में निकम्मे बैठे रहते हो। बाहर जाओ, कमाकर लाओ। आदमी ने कहा - भगवान ! मैं तो ब्राह्मण हूँ और ब्राह्मण आदमी कमाना नहीं जानता। वो तो यजमानों के भरोसे चलता है। ये कैसी विडम्बना की बात है कि ब्राह्मण माँगना तो जानता है, पर कमाना नहीं जानता। पत्नी बोली - तुम चाहे जो करो पर घर से निकलो। घर में बैठा निठल्ला आदमी तो लड़ाई झगड़ा करेगा या दंगा-फसाद करेगा। खाली दिमाग़ शैतान का घर । खाली बैठे रहोगे तो क्या होगा? कभी बहू को टोकेगे, कभी पोते को डाँटोगे, घर में कुछ-न-कुछ हुज्जत करते रहोगे। निठल्ली बैठी महिला काम की नहीं होती और निठल्ला बैठा आदमी काम का नहीं होता। आप सत्संग सुनने आये हैं और आपकी चप्पल चोरी चली गई, तो पता है कौन लेकर गया? निठल्ला आदमी जो कमाकर नहीं खा सकता। अब वह चोरी करने के अलावा करेगा क्या? अगर किसी ने आपकी पॉकेट मार दी तो उसका मतलब यह हुआ कि वह आदमी मेहनत करके कमाना नहीं जानता। कौन आदमी ऐसा होगा जो चोरी का माल खाना चाहेगा? निठल्ले लोग यह उल्टे काम करते हैं, सक्रिय कर्मयोगी ईमानदारी की जिंदगी जिया करते हैं। निठल्ले शैतान लड़के चलते हैं कोई नई कार दिखी और उसके पीछे से एक पत्थर घिसते हुए निकल गए।क्यों किया? खाली दिमाग़ शैतान का घर । निठल्लों के पास करने के लिए और कुछ तो है नहीं। बनाने का काम तो कर नहीं सकते, सो बिगाड़ने का काम करते हैं। 118 | Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003864
Book TitleKaise Khole Kismat ke Tale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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