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________________ वि कालंतरेण महग्घ - मोल्ला दिण्णा ते तुरंगमा । विढत्त महंतं प्रत्थसंचगं । तं च घेत्तणं सदेहुत्त गंतुमरणो सो सत्थवाहपुत्तोति । * 1. शब्दार्थ : सग्ग तल्लिच्छ उद्धाइयो * = डयत्तिय = दलाल 2. लघुत्तरात्मक प्रश्न : अभ्यास स्वर्ग धरणय अलिय तल्लीन उत्पन्न करना पवोत्त कांत प्राकृत गद्य-सोपान Jain Educationa International कुवलयमालाकहा, वही, पृ. 64-651 कुबेर झूठ प्रपौत्र == यमराज == सुद्दजाइ पट्टिगं For Personal and Private Use Only खारण रिणयत्त - प्रश्न का उत्तर एक वाक्य में लिखिए : 1. धनदेव का नाम लोभदेव क्यों रखा गया ? 2. धनदेव के पिता ने उसे विदेश जाने क्यों रोका ? 3. अन्त में पिता ने क्या सोचकर धनदेव को अनुमति दे दी ? 3. निबन्धात्मक प्रश्न : (क) धनदेव के पिता ने किन कार्यों में धन खर्च करने के लिए कहा था ? (ख) विदेश जाते समय धनदेव को उसके पिता ने क्या शिक्षा दो थी ? (ग) धनदेव कहाँ गया और उसने कैसे धन कमाया ? = = शूद्र जाति रख दिया खुदाना लौटना 73 www.jainelibrary.org
SR No.003807
Book TitlePrakrit Gadya Sopan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1983
Total Pages214
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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