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________________ 3. वहाँ पर अधीनस्थ राजमंडलों से परिपूर्ण, मदरूपी कलंक से रहित, जनता के मन और नयनों को आनन्द देने वाला पूर्णचन्द्र नाम का राजा था, (जो वास्तव में पूर्णिमा के चन्द्र की तरह था ) । 4. उस राजा के अन्तःपुर में प्रधान कुमुदिनी नामक रानी थी। उसके साथ विषयसुखों की वृद्धि होती रहती थी। वह कामदेव के लिए रति की तरह राजा को प्रिय थी । 5. उनके गुण - समूहों से युक्त गुरणसेण नामक पुत्र था, जो बालकपन में ही व्यंतर देव की तरह मात्र क्रीड़ाप्रिय था । और उसी नगर में सब लोगों के द्वारा अत्यन्त सम्मानित, धर्मशास्त्र के समूह का पाठक, लोक व्यवहार में नीतिकुशल, अल्प हिंसा और अल्प परिग्रह वाला, यज्ञदत्त नामक उपाध्याय था । उसकी पत्नी सोमदेवा के गर्भ से उत्पन्न, बड़ा और तिकोने सिर वाला, पीली और गोल आंखों वाला, स्थान मात्र से मालूम पड़ने वाली चपटी नाक वाला, छेद मात्र से युक्त कानों वाला, ओठों से बाहर निकले हुए बड़े दांतों वाला, टेढ़ी और मोटी गर्दन वाला, असमान और छोटी-छोटी बांहों वाला, अत्यन्त छोटे वक्षस्थल वाला, ऊँचा-नीचा और लम्बे पेट वाला, एक ओर को उठी हुई बेडौल कमर वाला, असमान रूप से स्थित जंबाओं वाला, मोटी, कड़ी और छोटी पिडलियों वाला, असमान और चौड़े पैरों वाला तथा आग की लपटों की तरह पीले बालों वाला अग्निशर्मा नाम का पुत्र था । उम (अग्नि शर्मा नामक ) पुत्र को कोतुहलवश कुमार गुणसेन नागाड़े, पटह, मृदंग, बांसुरी, मंजीरों आदि एवं बड़े तूर की आवाज से, नगर के बीच में, हाथों से तालियां बजाता हुआ, हंसता हुआ नचाता था । गधे पर चढ़ाकर, हंसते हुए बहुत से बालकों से घिरे हुए, छत्र के रूप में फटे सूप को धारण कराये हुए, मनोहर पर बेसुरे ताल से डोंडी पिटवाता हुआ, महाराज शब्दों से सम्बोधित करता हुआ बहुत बार राजमार्ग में जल्दी-जल्दी उस अग्निशर्मा को घुमाता था । इस प्रकार प्रतिदिन यमराज की तरह उस गुरणसेन के द्वारा अपमानित किये जाते हुए उस अग्निशर्मा के ( मन में) वैराग्यभावना उत्पन्न हो गयी । वह सोचने लगा प्राकृत गद्य-सोपान Jain Educationa International For Personal and Private Use Only 157 www.jainelibrary.org
SR No.003807
Book TitlePrakrit Gadya Sopan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1983
Total Pages214
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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