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________________ पाठ १० : कृष्ण के द्वारा वृद्ध की सेवा तब कृष्ण वासुदेब ने दूसरे दिन रात्रि के प्रातःकाल तक पहुंचने पर, फूले हुए उत्पल और कमलों के कोमल पत्ते विकसित होने वाले तया सफेदी लिए हुए प्रभात में, लाल अशोक के प्रकाग, पलाश के पुष्प, सुग्गे के मुख, चिरमु के आधे लाल मुख, बन्धुजीवक पुष्प, कबूतर के पैर और नेत्र, कोयल के लाल नेत्र, जसोदा के फूल, जलती हुई अग्नि, स्वर्ण-कलश, हिंगलू के समूह की तरह लालिमा से अधिक लाल रूप वाली शोभा से उन्हें तिरस्कृत करते हुए अनुक्रम से सूर्य के उदित होने पर, उस सूर्य की किरणों के अवतरित होने से अंधकार के समाप्त हो जाने पर, बाल सूर्यरूपी कुकम के द्वारा समस्त जीवलोक को व्याप्त कर लिये जाने पर, लोचनों के विषय के प्रसार से लोक दिखायी दिये जाने पर, सरोवरों के कमलवनों को विकसित करने वाले सूर्य के उदित होने पर, हजार किरणों वाले उस सूर्य के तेज के फैल जाने पर स्नान किया। विभूषित होने पर वे कृष्ण हाथी के कंधे पर बैठे। कोरंटपुष्पों की माला के छत्र को धारण करते हुए, श्वेत चामरों के ढोले जाते हुए, अनेक भटों. सेवकों, पथिकों से युक्त वे कृष्ण द्वारवाती नगरी के बीचोंबीच से, जहाँ अरिहंत अरिट्टनेमि थे, वहाँ जाने के लिए निकले। तब द्वारावती नगरी के बीचोंबीच से निकलते हुए वे कृष्ण वासुदेव एक वृद्ध, जरा से जर्जरित देह वाले, क्लान्त, कुम्हलाये हुए, थके हुए, दुर्बल एवं दुखी पुरुष को देखते हैं। वह पुरुष राजमार्ग के बाहर से बड़े राशि वाले ईटों के ढेर में से एक-एक ईट लेकर भीतर घर में पहुँचा रहा था। तब उन कृष्ण वासुदेव ने उस पुरुष पर हुई अनुकंपा से हाथी के कंधे पर बैठे हुए ही एक ईट को उठाया और उठाकर बाहर के राज-पथ से उसके भीतर घर में पहुंचा दी। ___ तब कुष्ण वासुदेव के द्वारा एक ईट उठाने से उनका अनुगमन करते हुए अनेक व्यक्तियों ने उस ईटों की बड़ी राशि को उठाकर वाहर के राजपथ से (उस बूढ़े के) घर के भीतर पहुँचा दिया। __तब वे कृष्ण वासुदेव द्वारावती नगरी के मध्य भाग से बाहर निकल गये । 000 प्राकृत गद्य-सोपान 151 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003807
Book TitlePrakrit Gadya Sopan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1983
Total Pages214
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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