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________________ चरिमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयराग-चरित्तारिया अचरिमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागचरित्तारिया य से त्तं अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागचरित्तारिया से त्तं केवलिखीणकसायवीतरागचरित्तारिया से त्तं खीणकसायवीतरागचरित्तारिया से त्तं वीयरागचरित्तारिया । अहवा चरित्तारिया पंचविहा पन्नत्ता तं जहा- सामाइयचरित्तारिया छेदोवठ्ठावणियचरित्तारिया परिहारविसुद्धियचरित्तारिया सुहमसंपराइयचरित्तारिया अहक्खायचरित्तारिया, से किं तं सामाइयचरित्तारिया-दुविहा प०-इत्तरियसामाइयचरित्तारिया य आवकहियसामाइयचरित्तारिया य से त्तं सामाइयचरित्तारिया, से किं तं छेदोवट्ठावणियचरित्तारिया-दुविहा पन्नत्ता तं जहासाइयारछेदोवट्ठावणियचरित्तारिया य निरइयारछेदो- वट्ठावणियचरित्तारिया य, से त्तं छेदोवट्ठावणियचरित्तारिया, से किं तं परिहारविसुद्धियचरित्तारिया-दुविहा प०निव्विसमाणपरिहारविसुद्धिचरित्तारिया य निविट्ठकाइयपरिहारविसुद्धियचरित्तारिया य से त्तं परिहार विसुद्धियचरित्तारिया, से किं तं सुहमसंपरायचरित्तारिया-दुविहा प०-संकिलिस्समाणसुहमसंपरायचरित्तारिया य विसुज्झमाणसुहमसंपरायचरित्तारिया य से त्तं सुहमसंपरायचरित्तारिया, से किं तं अहक्खायचरित्तारिया-दुविहा प०-छउमत्थअहक्खायचरित्तारिया य केवलिअहक्खायचरित्तारिया य से त्तं अहक्खायचरि-त्तारिया से त्तं चरित्तारिया से त्तं अणिढिपत्तारिया से त्तं आरिया से त्तं कम्मभूमगा से त्तं गब्भवक्कंतिय से त्तं मणस्सा । [१९१] से किं तं देवा देवा चउव्विहा पन्नत्ता तं जहा- भवणवासी वाणमंतर जोइसिया वेमाणिया से किं तं भवणवासी-दसविहा पन्नत्ता तं जहा- असुरकुमारा नागकुमारा सुवण्णकुमारा विज्जुकुमारा अग्गिकुमारा दीवकुमारा उदहिकुमारा दिसाकुमारा वाउकुमारा थणियकुमारा ते समासतो दुविहा पन्नत्ता तं जहा- पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य से त्तं भवणवासी, से किं तं वाणमंतरा अट्ठविहा पन्नत्ता तं जहा- किन्नरा किंपुरिसा महोरगा गंधव्वा जक्खा रक्खसाभूया पियासा ते समासतो दुविहा पन्नत्ता तं जहा- पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य से त्तं वाणमंतरा, से किं तं जोइसायापंचविहा पन्नत्ता पद-१ जहा- चंदा सूरागहा नक्खत्ता तारा ते समासतो दुविहा पन्नत्ता तं जहा- पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य से तं जोइसिया, से किं तं वेमाणिया-दुविहा प०-कप्पोवगा य कप्पातीता य से किं तं कप्पोवगा-बारसविहा पन्नत्ता तं जहा- सोहम्मा ईसाणा सणंकुमारा माहिंदा बंभलोया लंतया सुक्का सहस्सारा आणता पाणता आरणा अच्चुत्ता ते समासतो दुविहा पन्नत्ता तं जहा- पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य से त्तं कप्पोवगा, से किं तं कप्पातीया-दुविहा प०-गेवेज्जगा य अनुत्तरा ववाइया य से किं तं गेवेज्जगा-नवविहा प०हेट्ठिमहेट्ठिम-गेवज्जगा हेद्विममज्झिमगेवेज्जगा हेट्ठिमउवरिमगेवेज्जगा मज्झिमहेद्विगेवेज्जगा मज्झिममज्झिमगेवेज्जगा मज्झिमउवरिमगेवेज्जगा उवरिमहेद्विमगेवेज्जगा उवरिममज्झिमगेवेज्जगा उवरिमउवरिमगेवेज्जगा ते समास प०-पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य से त्तं गेवेज्जगा, से किं तं अनुत्तरोववाइया पंचविहा प०-विजया वेजयंता जयंता अपराजिता सव्वट्ठसिद्धा ते समासतो दुविहा पन्नत्ता दीपरत्नसागर संशोधितः] [23] [१५-पन्नवणा]
SR No.003729
Book TitleAgam 15 Pannavana Chauttham Uvvangsuttam Mulam PDF File Without Correction
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2013
Total Pages202
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size3 MB
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