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________________ 352 सूक्तमुक्तावली कामवर्ग तेन चतनिर्वर्गे, रचिता जापानिबाचिरेयं // सूक्तानामिह माला, मनोविनोदाय बालानां // 5 // अर्थः-ते केसर विमलजीए चार वर्ग वडे श्रने सुंदर नाषावडे बांधली एवीथा सूक्तमाला बाल जीवोना मनना विनोदने माटे रचेली बे. वेज्यिर्षि चं, प्रमिते श्रीविक्रमाते वर्षे // अग्रंथि सूक्तमाला, केसरविमलेन विबुधेन // 6 // अर्थः- विक्रम संवत 1754 नी साले केसरवीमल पंडिते श्रा सूक्तमाला गुंथि एटले रची. // 6 // __ (प्रशस्ति काव्योनो अक्षरार्थ उपर प्रमाणे जे तेनो टुंक जावार्थ समजवा माटे श्रा नीचे लख्यो बे.) ___ लोकोना कंठने विषे रहेली मोतीनी मालानी पेठे चार वगथी शोलाएलो एवो आ सूक्तमाला नामनो ग्रंथ लोकोनी शोनाने अधिक करो. बुद्धि वडे जीत्यो ने बृहस्पति एवा पुनमचंड सरखा अने तपागबने पालण करनार एवा श्री विजयप्रन नामे सुगुरु थया. उदयाचलने विषे सूर्यनी कान्तिनी माफक तेमना पाटने शोजावनारा श्रने सर्व विद्यानोने थानंद करनारा एवा श्री विजयरत्न नामना सूरि थया, तेमना राज्यने विषे प्रख्यात अने बुद्धिमान श्रीशांति विमल नामे सुगुरु थया, अने तेमना न्हाना गुरुनाई कनकविमल विछत्तामा प्रख्यात थया. तेऊना बे शिष्य एक कल्याण विमल अने बीजा केसरविमल नामे हता. तेमांना केसरविमलजीए बालजीवोना विनोदने अर्थे धर्म, अर्थ, काम अने मोद ए चार वर्गवडे अने रुमी नापाथी श्रा सूक्तमाला नामना ग्रंथ विक्रम संवत् 1754 नी सालमां रच्यो . // इति श्री सूक्तमुक्तावली ग्रंथ सह नाषान्तर समाप्तः // இலைலைலைலைலைலைலைலை Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003685
Book TitleSuktavali yane Suktmuktavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1911
Total Pages368
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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