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________________ ( १७ ) अंक विषय २५ क्ये गुणस्थानके क्युं सम्यक्त्व होय ? २६ सम्यक्त्व केलीवार मूकाय अने केटलीवार ग्रहण थाय ? २७ सम्यक्क्त्वना दश प्रकार २८ उपरना प्रकारोनुं विवेचन ७ आशारुची सम्यक्त्व उपर माष्तुषं दृष्टांत ३० सुत्ररुची सम्यक्त्व उपर गोविंद वाचकनी कथा ३१ सर्व धर्म कृत्यामां सम्यक्त्वनी प्रधानता ३२ आत्मशुद्धि उपर प्रभास चित्रकारनं दृष्टांत ३३ सम्यक्त्वना बीजा नेदो ३४ सम्यक्त्वना ६७ जेदोनुं सविस्तर विवेचन ३५ त्रण जिंगनी व्याख्या ३६ छ प्रकारना विनयनी व्याख्या ३७ विनयना पांच प्रकारनी व्याख्या ३८ त्रीने चैत्य विषे विवेचन ३० बीजी रीते चैत्यना पांच प्रकार ४० साधार्मिक चैत्य विषे वार्तक मुनिनी कथा ४१ गृहस्थी पोताना घरने विषे केवी प्रतिमा पूजवी जाइए ? ४२ चैत्य विनयनुं स्वरुप ४३ पुष्पपूजा विषे धनसारनी कथा ४४ आचरण पूजा ४५ बीजी अग्रपूजा .... ४६ दिपक उपर देवसेननी मातानुं दृष्टांत ४७ त्रीजी भावपूजा ४० पांच प्रकारनी पूजा .... .... gru देव द्रव्य उपर सागरशेठनुं दृष्टांत ५० चोथी नक्ति Jain Education International ५१ पांचमी नक्ति ५२ तीर्थयात्रा विषे धनशेवनी कथा .... **** : .... *201 .... For Private & Personal Use Only *** **** .... 3000 .... .... .... .... .440 .... .... .... .... .... .... **** .... .... .... www. .... .... .... **** पृष्ठ. १२ २३ २३ २३ २४ २५ २७ २७ श्ए ३२ ३३ ३४ ३४ ३५ ३६ ३७ ४६ ४७ ४ ५१ ५१ ५२ ५३ ५४ ५७ ६१ ६२ ६५ www.jainelibrary.org
SR No.003647
Book TitleAtmprabodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinlabhsuri, Zaverchand Bhaichand Shah
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1912
Total Pages464
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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