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________________ अंक विषयानुक्रमणिका. प्रथम प्रकाश ( सम्यक्त्व निर्णय. ) विषय १ मंगलाचरण ५ ३ आत्म शब्दनो अर्थ ४ आत्माना त्रण प्रकार २ बहिरात्मानुं स्वरूप ६ अंतरात्मानुं स्वरुप ग्रंथना अधिकारीयो कोण छे ? **** ७ परमात्मानुं स्वरूप आत्मबोध शब्दनो अर्थ .... 0000 Jain Education International ९ आत्मबोधनुं महात्म्य ... १० आत्मबोध वगरनो प्राणी केवो होय छे ? ११ आत्मबोध थवानुं कारण शुं बे ? १२ सम्यक्त्वने प्रतिपादन करवानी उत्पत्तिनी रीति १३ सम्यक्त्वमां प्रवेश करवानो विधि १४ सम्यक्त्वना भेद १५ देवगुरुनुं संक्षिप्त स्वरुप १६ सम्यक्त्वना बीजा बे प्रकार १७ सम्यक्त्वना बीजी रीते बे नेदो १८ सम्यक्त्व विषे मार्ग तथा ज्वरनुं दृष्टांत **** ... १० सम्यक्त्वना ऋण प्रकार २० सम्यत्क्वना बीजी रीते त्रण द २१ सम्यक्त्वना चार नेद ⠀⠀ : ... .... C २२ सम्यक्त्वना पांच प्रकार २३ सम्यक्त्वना पांचे प्रकारना काळनो नियम ... २४ सम्यक्त्व कटेलीवार पमाय छे ? For Private & Personal Use Only : .... : : .... :: .... ... .... .... .... ... ... पृष्ट. १ ६ G U १२ १२ १७ ?0 १८ १८ १ ए ?吧 १ २१ श्‍ www.jainelibrary.org
SR No.003647
Book TitleAtmprabodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinlabhsuri, Zaverchand Bhaichand Shah
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1912
Total Pages464
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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