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________________ मुद्दिया- मेंढमुह मुद्दिया ( मृद्वीका ) प १३४०१४ मुद्दिया ( मुद्रिका ) ज ३१६,२११,२२२ मुद्दियासारय ( मृदवसारक ) प १७/१३४ मुद्ध ( मुर्धन् ) ज ५१२१,५८,६४, ७२ ७३ ७ १७८ मुद्धत ( मूर्द्धान्त) सु २०१२ मुख्य (दे० ) प १२५८ मुद्धाय ( मूर्द्धगत) ज ३१६२,११६ मुम्मुर (मुर्मुर ) प ११२६ मुम्मुरभूय ( मुर्मुरभूत) ज २११३२,१४१ मुय (मुच्) मुति २०१२ मुयंत ( मुञ्चत् ) ज २१२ मुरव (मुरज ) ज ३११२,७८, १८०,२०६ मुरुड ( मुरुण्ड ) प ११८६ मुरुंडी (मुरुण्डी) ज ३।११।२ मुसल ( मुसल ) प २/३०,३१,४१ ज २२६, १४१, १४५; ३।३,२०,३३.५४,६३,७१८४, ११५, ११६,१२२,१२४, १३७, १४३, १६७, १८२; ७१७८ मुसावाय (मृषावाद ) प २२/१२,१३,८० मुसावायविरय ( मुषाव: दविरत ) प २२८५ मुसुंढी (दे० ) प ११४८।१३ २१३०,३१,४१ मुह (मुख) ज २७१, १३३,३।१०५, १०६, १६७१११४।२३,३६,३८,३९,४३,६५,६६, ७२,७३,७८, ६०, ६१.९५, १८३. २६२; ७/१७८ उ ३१५५,५६,६३,६४,६७,६८,७०,७१,७३, ७४,७६, ४२१ महफुल्लय ( मुख फुल्लक) ज ७।१३३।२ मुहफुल्लसंठिया ( मुख फुल्ल' संस्थित) सू १०२४७ महभंडग ( मुखभाण्डक ) ज ३२१७८ मुहमंगलिय ( मुखमाङ्गलिक ) ज २२६४, ३३१८५ मुहमंड ( मुखमण्डप) ज ४११२२ मुहुत्त ( मुहूर्त ) ६१ से ४, ६ से १०,१७,१८,२२ से ३०,४५,७१३,३ से ६,२३६३, १२७,१३१, १८८ ज २२४१२,३. २०६६, १३४,३३२१२, २०६७/२० से ३०, ३६ से ३८,७६ से ८२, Jain Education International ५,६६,६८ से १००, १२२,१२६,१२७, १३४।१,२,३,१३५।१ से ४ च ३११:४११; ५२ सू१।७।१, ११६।१,११६१२, ११०, १३.१४, १६६ से १८.२१,२२,२४,२७,२१३, ३१२,४१८, ६; ६ १ ८ १ १ ६२,१०१२ से ५,८४,१३३,१३४, १५२ से १६५,११।२ से ६; १२१२ से ६, १२,१३,१६ से २८, १३१.३, १४१३७ १५२ से ४, ८, ९, ११, १२,३७,१७११३ ११२४, ४७, ६०,६२ १०२१ महत्तगइ ( मुहूर्त गति) चं ४।३ मुहुत्तग्ग ( मुहूर्ता) चं ५१ सू १६१; १०१२ १२/२ से मूल (मूल) प ११३५, ३६, ११४८११०, २०, ३०, ३४, ५.१ ज ११८,३५,५१, २२६, ३१२२२०, ४१७, १५, ४३,४५,७२,७८, ६०, ६५, ११०,११४; १२०, १४२।१,१४६,१५६।१,१७४,२१३,२४२; ५१६७७१३६,३८, १२४११, १२८, १२६, १३२/४, १३६,१४०, १४६, १५२, १६६, १६७, १७५सू १०१२ से ६, १८, २३, ५२,६२,७३ से ७५,८३,११७,१२०,१३१ से १३३; १२।२७; १८१७३५०, ५१,५३ मूलग (मूलक ) प ११४४१२, ११४५१२ ज ३१११६ मूलग्ग (मूलाग्र ) प १२४८१६३ मूलपासावडेंस ( मुप्रासादावतंसक) ज ४।१२० मूलय (मूलक ) प १।४८।२ मूलाग (मूलक) उ १९२ मूलापण ( मूलकपर्ण) सु १०।१२० मूलावीय (मुलन वीज) ज २१३७ मूलाहार (मूलाहार ) उ ३१५० मुसग ( मूषक ) प १९७८ मूसा ( मूषक ) प ११७६ मेइणी ( मेदिनी) ज २११५ मेहणीय (मेदिनीक) ज ३११८,३१,१८० (क) १०।१२० मेढा नगी लता मुह (मेंढमुख ) प ११८६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003572
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Jambuddivpannatti Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages617
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jambudwipapragnapti
File Size12 MB
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