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________________ ६५० परिश्वय-पलिओवम परिव्वय परिव्यय ] रा० ७७४ परिवायग | परिव्राजक] ओ० १०१ से १३३ परिवाया [परिव्राजक] ओ०६६ से १६,११७ परिसडिय परिशटित ] ओ० १४. रा०७६०, ७६१,७८२ परिसप्प [परिसर्प ] जी० १११०२,१०४,१२०, १२२; ३।१४१,१४३ परिसप्पो [परिसी] जी० २१५,७ परिसा | परिषद] ओ०४३,७६. रा० ६,७,४३, ५६,५८,६१.२७६ से २८०,२८४,२८७,६६० से ६६२,६६६,६६३,६६४,७१२,७१७,७३२, २४१ से २४३,२४५ से २४७,२४६,२५०,२५४ से २५६,२५८,३४१ से ३४३,३५०,३५६,४४२ से ४४६,५५७,५६०,५६३,८४२,८४५,१०४० से १०४२,१०४४,१०४६ से १०५३,१०५५ परिसार परि + शाटय् !-परिसाउंति जी० ३१४४५.—पडिसाडेइ ४० १८. -परिसाडेति रा० १० परिसाडइत्ता [परिशाट्य] जी० ११५० परिसाडित्ता [परिशाट्य ] रा० १८. जी० ३।४४५ परिसाडेत्ता परिशाट्य रा० १० । परिसामंत [परिसामन्त] जी० ३३१२६ परिसेय [परिषेक | जी० ३१४१५ परिसोधित पिरिशोधित जी० ३१८७८ परिस्संत [परिश्रान्त ] ओ० ६३. रा० ७६५ परिस्सम (परिश्रम] ओ० ६३ पिरिहा परि +धा]--परिहेइ जी० ३।४४३ परिहत्य [दे०] ओ० ४६. रा० ६६,१५१. जी० ३११८,११६,२८६ । परिहा [परि+हा ] ---परिहायइ. जी० ३८३८:१६.--परिहायति. जी. ३.१०७ परिहाणि | परिहाणि] जी० ३१६६८,८३८।१६,२० परिहायमाण [परिहीयमाण ] ओ० १९२. जी० ३।६६८,८८२ परिहारविसुद्धिचरित्तविणय [परिहारविशुद्धिचरित्र विनय ओ० ४० परिहित [परिहित ] रा०६८५,६६२,७००.७१६, ७२६,८०२. जी. ३।११२२ परिहिय परिहित] ओ० २०,४७,५२,५३,७२. रा०६८७,६८६ परिहोण परिहीम | ओ० ७४।६,१८२, १९५८. रा० १३,१५,१७ परिहेता परिधाय | जी० ३ ४४३ परीसह [परीपह] ओ० ११७,१५४,१६५,१६६ परूढ [प्ररूढ ] ओ० ६२ । पिरूव प्र+रूपय] —परूवेइ. ओ०५२ रा० ६८७..-परूवेति. जी० ३।२१०, —पस्वमि. जी० ३१२११ परूविय प्ररूपित जी० ११ परूबमाण [प्ररूपयत् ] ओ०१८ पलंब [प्रलम्ब ] ओ० ४७,४६,५७,६४,७२. रा० ५१,६६,७० पलंबमाण [प्रलम्बमान ] ओ० २१,५२,५४,६३. रा०८,४०,१३२,६८७ से ६८६,७१४. जी० ३१२६५ पलाल [पलाल] रा० ७६७ पलिओवम [पल्यापम ओ० ६४,६५. रा० १८६, २८२,६६५,६६६,७६८. जी० १११२१,१२५, १३३, रा२०,२१,२५ से २८,३० से ४६,५३ से ५५,५७ से ६१,७३,८३,८४,१३९; ३११५६, १६५,२१८,२३८,२४३,२४७,२५०,२५६, ३५०,३५६,४४८,५६४,५६५,६२६,६३७, ६५६,७००,७२१,७२४,७२७,७३८,७६१, ७६३,७६५,८०८,८१६,८२६,८४१,८५४, ८५७,८६०,८६३,६६६,८६६,८७२,८७५, ८७८,८८५,६२३,६२५,१०२७ से १०३६, १०४२,१०४४,१०४६,१०४७.१०४६ से १०५३,१०५५,१०८६,११३२,११३५, ६३, ६,६; ७४५,६,१२, ६१८७ से १८६,२१२, २१४,२२५,२३८,२७३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003568
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Ovaiyam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages412
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_aupapatik
File Size8 MB
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