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________________ परिभवणा-परिवढि ६७६ ८०२ परिभवणा [परिभवना | ओ० १५४,१६५,१६६ ७७८,८०४ परिभाइत्ता[ परिभाज्य रा० ६६५ परियावणकर [परितापनकर] ओ० १६१,१६३ परिभाएमाण [परि भाजयत् ] रा०७६५,७८७,७८८, । परिरय [परिरय] ओ० १६२. जी० ३१२१६११, २,४,५,८३६,६१० परिभायइत्ता | परिवाज्य] ओ० २३ परिलित [परिलीयमान] ओ० ६२. जी० ३।२७५ परि जमाण परि जान | ओ० ११६,११७ परिलो [दे०] रा० ७७ परिभुजेमाण [परिभुञान ० ७६५,८०२ परिवंदिज्जमाण [परिवन्धमान ] ० ८०४ परिभुज्जमाण | परिभुज्यमान] ० ३०,१३६.१७४, परिवच्छिय [परिवनित'] ओ० ५७ ___ ८०४. जी० ३! ११८,११६,२८३,२८६,३०६ ।। परिवज्जिय [परिवजित ] जी० ३।६२२ परिभोगत्त [परिभोगत्व | जी० ३।६१८ परिवड्ड [परि--- वृध्] ----परिवड्ढइ. जी. ६१६,६२१ ___ ३१८३८।१८.---परिवढिस्स इ. रा० ८०४ परिमंडल परिमण्डल| रा०६,१२,१४. जी. परिक्य [परि : वृत् ] -परिवयंति. रा० २८१. ११५; ३ २२ जी० ३२४४७ परिमंडित [परिमण्डित ] जी० ३।३७२ परिवस [परि-1-वस] परिवस इ. ओ०१४ परिमंडिय परिमण्डिन । ओं० १,५७,६४,७०. रा० २०७०३.-.-परिवसंति औ०१८४. ३२,५२,५६,१७३,२३१.२४७,६८१,८०४. रा० १८६. जी० ३१२३२.-परिवसति. जी० ३:३६३ जी० ३१२३४ परिमद्दण [परिमर्दन] ओ० ६३ परिवसण [परिवसन] जी० ३१५६८ परिमाण |परिमाण ] जी० ३।१२७४३,२५०,२५८ परिवह [परिवह]-परिवहति परिमिय परिमित | जो० १५. रा० ६७२ जी० ३११०१५ परिमिपिंडवाइय [परिमितपिण्डपातिक ] ओ० ३४ परिवहितए [परिवोढुम्] रा० ७६० परियट [परिवत] - परिययंति ओ० ४५ परिवाइणी [परिवादिनी | जी० ३१५८८ परिवाहिती परियट्टणा परिवर्तना] ओ० ४२,४३ परिवाडी [परिपाटी] रा० १३१ से १३३,१३५, परियत परिवर्त जो० ४६ १३६. जी० ३१३०१ से ३०३ परियर [परिकर रा० ६६,७६५ परिवायणी पिरिवादिनी] रा०७७ परियाई परि + आ---दा--परियाएइ रा० । परिवार [परिवार ओ० ७०. रा० ७,४२,४७, १८-परियायनि रा० १०.जी. ३१४४५ ५६,५८,६१,६७,१६४,१८६,२०४ से २०६, परियाइत्ता मर्यादा रा० १०. मी० ३।४४५ २१६,२४३,२८०. जी० ३।३४०,३५०,३५६, परियाइय | पर्यात १०६६४. जो० ३.५६२ ३६६,३६८,३७८,४०५,४४६.४४८,५५७, परियाग [पर्याय | ओ० ६४,१५५,१५८ से १६०, ५६३,६३५,६५७,६६३६७३,६८०,६८५, ७३.७,७४०,७४२,७४५,७५०,७६२,७६५, परियाण परि-ज्ञा - परियाणइ रा० ६४ ७६८,७७०,१०००,१०२३,१०५४ परियाय पर्याय ! ओ० २३,११४,१४०. परिवाल [परिवार रा० १३,१२० रा० ८१५ परिविद्धंसइत्ता [परिविद्धवस्य ! जी० ११५० परियारणिति [परिचारद्धि] जी. ३३१०२५ परिवुष्टि [परिवृद्धि] जी० ३।७८८,७८६ परियाल [परिवार] ओ० २३,७०,७१. रा० ७७७, १. परिपक्षितं -परिगृहोतं परिवृत्तम् (व)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003568
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Ovaiyam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages412
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_aupapatik
File Size8 MB
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