SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1128
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वुद्धि-वेद ३०।१६,१६,२१,२३,२६,२८,३४।१२,१६, १८३५॥१८,२०,२३,३६।२८,८१,६४ वुट्ठि (वृष्टि) ज ३।११७ वुड्ढकुमारी (वृद्धकुमारी) उ ४६ वुड्ढय (वृद्धक) ज २१६५ वुड्ढा (वृद्धा) उ ४६ बुढि (वृद्धि) प ३३।१।१ ज ७।१,१०,१३,१६, १६,६६,७२,७५,७८ चं २।४ सू ११६।४,श२७ १३।१७ वृत्त (उक) ज ३१८,१३,१६,२६,४२,५०,५३,५६, ६२,६८,७०,७५,७७,८४,१००,१२५,१२६, १४२.१४८,१६५,१६६,१८१,१८६,१६२; ५।१५,२२,२६,७० चं २।४,५,५२ सू १।६।४,१।६।३ उ ११४०,४५,५५,५८,८०, ८२,१०८,३७८,८२,११३, ४।२० 1वेअ (वि+इ) वेअति सू ६१ वेइगा (वेदिका) ज ४।१२८ वेइया (वेदिका) प २।१२११६० ज २।२०४१३, २५,३६,५७,६३,११०,१४८,१५६,२२१,२४५ वेउवि (वैक्रिथिन् ) प २०४६ वेउविय (वैक्रियक) प १२।१,२,४,५,८,१४,१८, २४,२८,३३,३६;१६।५।२१।१,८३,१०४, १०५;२३।४२,६०,६२,१४६,१७३,३६।१।१, ३६३२ ज २१८०,५१४०,५६,७१५५,५८ सु १६।२३ २६ वेउव्वियमीससरीर (वैक्रियमिश्रशरीर) १६।१, ३,७,१० वेउव्वियमीसासरीर (वैकिमिश्रकशरीर) प१६।११,१२,१५,३६।८७ वेउव्वियसमुग्धाय (वै क्रिसमुद्घात) प ३६।१,४ से ७,२८,३५ से ३८,४०,४१,५३ से ५८,७० ७३ ज ३।११५,१६२,२०८:५।५,७,२६,५५ वेउव्वियसरीर (वैक्रियशरीर) प १२।१२,१६; १६।१,३,७,१२,१५, २११४६ से ६५,६८ से ७१,७७,८१,९६,६८,१०१,१०४,१०५; ३६।८७ वेउब्वियसरीरग (वैक्रियशरीरक) प १२।३६ वेउब्वियसरीरय (वैकिाशरीरक) प १२१८,२१,३१ वेउब्वियसरीरि (व क्रियशरीरिन् ) २८।१४१ वेंट (वन्त) प११४८।४५ वेंटबद्ध (वन्तबद्ध) प ११४८।४० वेग (वेग) प २१२१ से २७,३० ज २०१६ वेगच्छिग (वैकक्षिक) ज ७।१७८ वेच्च (दे०,व्युत,व्यूत) ज ४।१३ वेजयत (वजयन्त) प १११३८, २।६३,४।२६४ से २६६,६।४२,५६,७।२६१५८६,६२,१००, १०५,१०८,१०६,११३,११४,११६,१२०, १२१,१२३,१२५,१२६,१३१,१३६२८६६ ज १११५ वेजयंती (वैजयन्ती) प २।४८ ज ३।३१,१७८; ४।४६,२१२;५।८।१,५।४३,७।१२०१२,१८६ वेज्म (वेध्य) ज ३।३२ वेड्ड (दे० वीडित) ज २१६० वेढ (वेष्ट) ज २११३६ Vवेढ (वेष्ट) वेढइ उ ११४६ वेढय (वेष्टक) ज २।१३६ वेढल (दे०) प ११५८ वेढिम (वेष्टिम) ज ३।१११ वेढिय (वेष्टित) ज ३।३२ वेढेता (वेष्टित्वा) उ ११४६ वेणइया (वनयिकी,वैण किया) प १९८ उ ११४१, वेणुदालि (वेणुदालि) प २।३७,३६,४०१७ वेणुदेव (वेणुदेव) प २।३७,३८,४०१६ ज ४।२०८ वेणुयाणुजात (वेणुकानुजात) सू १।२६ वेत्त (वेत्र) प ११४१।१,१११७५ ज २१६७ वेद (वेदय) वेदेइ प २३।१।१,२५४ वेदेति प १७।२०,२३।११,२५॥४,५;२७।२,३,३५१२, ३,५,७,६,११,१३,१४,१७ से २०,२२,२३ वेदेति प २३१९,१०,१२ से २३,२५१२, २७।२, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy