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________________ भावेयव्व-भुज्जो १००५ भावेयव्व (भावयितव्य) प २२।४५ भिगार (भृङ्गार) प १११२५ ज ३।३,११,१७८; भास (भाष ) भासइ ज ७।२१४ उ ११८ ५६,४३,५५ भासंति प११०४३ से ४६ भासती भिगारग (भृङ्गारक) ज २०१२ प ११।३०।१,२ भासिंति प १६८ भिडिमाल (भिण्डिमाल, भिन्दिपाल) भास (भस्मन्) सू २०१८,२०८।८ ज ३।३१,१७८ भासंत (भाषमाण) प १११८६ भिक्खायरिया (भिक्षाचर्या) उ ३३१००,१३३ भासग (भाषक) प ३।११२,१०८१११३८ से ४१ भिज्जमाण (भिद्यमान) प ११७६ १८ गा २ भिण्ण (भिन्न) प ११७२ सू २०१२ भासज्जात (भाषाजात) प १११४२ भित्तिकडग (भित्तिकटक) ज ३९७ भासज्जाय (भाषाजात) प १११८८,८६ भित्तुं (भेत्तुम्) ज २।६।१ भासत्त (भाषात्व) प ११।४७,७० से ७२,८० से भिब्भिसमाण (बाभाष्यमाण) ज ४।२७,५।२८ भिस (विस) प ११४६,११४८।४२ ज २०१७; ८५ भासमणपज्जति (भाषामनःपर्याप्ति) उ ३।१५,८४ ४१३,२५ १२१,४।२४ भिसंत (दे० भासमान) ज ३।१७८,७।१७८ भासमाण (भाषमाण) प ११८६ भिसकंद (विषकंद) प १७।१३५ भिसमाण (दे०) ज ४।२७,५।२८ भासय (भाषक) प१८।१०४ भासरासि (भस्मराशि) प २१५०,५६,६० स २०१८ मति (भति) प २०२० से २७ भासरासिप्पभ (भस्मराशिप्रभ) प २१५४,५८ भीम (भीम) प २।२० से २७,४५,४५।१ उ ११३६ भासरासिवण्णाभ (भस्मराशिवर्णाभ) सू २०१२ भीय (भीत) ज २१६०,३।१११,१२५ उ ११८६ भासा (भाषा) प ११११५,१११८२३१; __३।११२; ४।१६ १०५.३।१११।१ से १०,२६ से ३०,३०।१, भुंज (भुज्) भुंजइ ज ३।३ भुंजए ज ४११७७ २,११।३१ से ३७,३७।१,२,११०४३ से ४६, भुंजाहि उ ३।१०७ ८२,८३,८७,८६; २८।१४२,१४४,१४५ भुंजमाण (भुजान) प २।३० से ३२,४१,४६ ज ३७७,१०० ज ११३३,४५:२।६१,१२०,३८२,१७१, भासाचरिम (भाषाचरम) प १०॥३८,३६ १८५,१८७,२०६,२१८,४।११३; ५१,१६; भासारिय (भाषार्य) प ११६२,९८ ७।५५,५८,१८४,१८५ सू १८।२२,२३; भासासमिय (भाषासमित) ज २।६८ उ ३६६ १६।२६ उ ३।६०,६८,१०१,१०६,१२६ से भासुर (भासुर) ५ २।३०,३१,४१,४६ ज ५१७,१८ १३१,१३४,५।२५ भिउडि (भृकुटि) ज ३।२६,३६,४७,१३३ vभुंजाव (भोजय) भुजावेइ उ ३।११४ उ ११२२,११५,११७,१४० भिकंड (दे०) भुकंडेति ज ३।२११ भिंग (भृङ्ग) प १७।१२४ भुक्खा (दे० बुभुक्षा) उ ११३५ से ३७,४० भिंगनिभा (भृङ्गनिभा) ज ४।२२३।१ भुजंग (भुजङ्ग) ज २।१५ भिंगपत्त (भृङ्गपत्र) प १७११२४ भुज्जो (भूयस्) प १६।४६१७।११५ से १२२, भिंगप्पभा (भृङ्गप्रभा) ज ४।१५५।२ १५४;२८।२४ से २६,३६,४२,४५,४६,७१, भिंगा (भृङ्गा) ज ४११५५।२,२२३।१ ७४,३४।२०,२२ से २४ ज ३।१२६७।२१४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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