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________________ २४८] [प्रज्ञापना सूत्र सुहुमवाउकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया ११, सुहुमनिगोदा पज्जत्तया असंखेज्जगुणा १२, बादरवणप्फइकाइया पज्जत्तया अणंतगुणा १३, बादरा पज्जत्तया विसे साहिया १४, सुहुमवणस्सइकइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा १५, सुहुमा पज्जत्तया विसेसाहिया १६। [२४९ प्र.] भगवन् ! इन सूक्ष्म-पर्याप्तकों, सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक-पर्याप्तकों, सूक्ष्म-अप्कायिक-पर्याप्तकों, सूक्ष्म-तेजस्कायिक-पर्याप्तकों, सूक्ष्म-वायुकायिक-पर्याप्तकों, सूक्ष्म-वनस्पतिकायिक पर्याप्तकों, सूक्ष्म निगोदपर्याप्तकों, बादर-पर्याप्तकों, बादर-पृथ्वीकायिक-पर्याप्तकों, बादर-अप्कायिक-पर्याप्तकों बादर-तेजस्कायिकपर्याप्तकों, बादर-वायुकायिक-पर्याप्तकों, बादर-वनस्पतिकायिक-पर्याप्तकों, प्रत्येक-शरीर बादरवनस्पतिकायिक-पर्याप्तकों, बादर-निगोद-पर्याप्तकों और बादरत्रसकायिक-पर्याप्तकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [२४९ उ.] गौतम! १. सबसे अल्प बादर तेजस्कायिक-पर्याप्तक हैं, २. (उनसे) बादर त्रसकायिकपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) प्रत्येकशरीर-बादरवनस्पतिकायिक पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं। ४. (उनसे) बादर-निगोद-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) बादरपृथ्वीकायिक-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ६. (उनसे) बादर-अप्कायिक-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ७. (उनसे) बादर-वायुकायिक पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं , ८. (उनसे) सूक्ष्म-तेजस्कायिक-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ९. (उनसे) सूक्ष्म पृथ्वीकायिक-पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, १०. (उनसे) सूक्ष्म-अप्कायिक-पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ११. (उनसे) सूक्ष्म वायुकायिक-पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, १२. (उनसे) सूक्ष्म निगोद-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, १३. (उनसे) बादरवनस्पतिकायिक-पर्याप्तक अनन्तगुणे हैं, १४. (उनसे) बादर पर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं, १५. (उनसे) सूक्ष्म वनस्पतिकायिक पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं (और उनसे भी) १६. सूक्ष्म-पर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं। २५०. [१] एएसि णं भंते! सुहमाणं बादराण य पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा बादरा पज्जत्तगा १, बादरा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा २, सुहुमा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा २, सुहुमा पज्जत्तगासंखेज्जगुणा ४। __ [२५०-१ प्र.] भगवन् ! इन सूक्ष्म और बादर जीवों के पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? _ [२५०-१ उ.] गौतम! १. (इनमें) सबसे थोड़े बादर पर्याप्तक हैं, २. (उनसे) बादर अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) सूक्ष्म अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं और ४. (उनसे भी) सूक्ष्म पर्याप्तक संख्यातगुणे हैं। [२] एएसि णं भंते! सुहमपुढविकाइयाणं बादरपुढविकाइयाण य पज्जत्ताऽपज्जत्ताण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा बादरपुढविकाइया पज्जत्तगा १, बादरपुढविकाइया अपज्जत्तया
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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