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________________ [ प्रज्ञापना सूत्र गोयमा! सव्वत्थोवा बादरतसकाइया १, बादरतेउकाइया असंखेज्जगुणा २, पत्तेयसरीरबादरवणप्फइकाइया असंखेज्जगुणा ३, बादरनिगोदा असंखेज्जगुणा ४, बादरपुढविकाइया असंखेज्जगुणा ५, बादरआउकाइया असंखेज्जगुणा ६, बादरवाउकाइया असंखेज्जगुणा ७, सुहुमतेउकाइया असंखेज्जगुणा ८, सुहुमपुढविकाइया विसेसाहिया ९, सुहुमआउकाइया विसेसाहिया १०, सुहुमवाउकाइया विसेसाहिया ११, सुहुमणिगोदा असंखेज्जगुणा १२, बादरवणस्सइकाइया अनंतगुणा १३, बादरा विसेसाहिया १४, सुहुमवणस्सइकाइया असंखेज्जगुणा १५, सुमा विसेसाहिया १६ । २४६ ] [२४७ प्र.] भगवन्! इन सूक्ष्मजीवों, सूक्ष्म - पृथ्वीकायिकों, सूक्ष्म-अप्कायिकों, सूक्ष्म-तेजस्कायिकों, सूक्ष्मवनस्पतिकायिकों, सूक्ष्मनिगोदों तथा बादरजीवों, बादर- पृथ्वीकायिकों, बादर-अप्कायिकों, बादरतेजस्कायिकों, बादर-वायुकायिकों, बादर - वनस्पतिकायिकों, प्रत्येकशरीर - बादर-वनस्पतिकायिकों, बादरनिगोदों और बादर - त्रसकायिकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [२४७ उ.] गौतम! १. सबसे थोड़े - बादर - त्रसकायिक हैं, २. ( उनसे) बादर तेजस्कायिक असंख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे ) प्रत्येकशरीर बादर - वनस्पतिकायिक असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) बादरनिगोद असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) बादर - पृथ्वीकायिक असंख्यातगुणे हैं, ६. (उनसे) बादर- अप्कायिक असंख्यातगुणे हैं, ७. ( उनसे) बादर - वायुकायिक असंख्यातगुणे हैं, ८. ( उनसे ) सूक्ष्म - तेजस्कायिक असंख्यातगुणे हैं, ९. (उनसे ) सूक्ष्म - पृथ्वीकायिक विशेषाधि हैं, १०. ( उनसे ) सूक्ष्म - अप्कायिक विशेषाधिक हैं, ११. (उनसे ) सूक्ष्म - वायुकायिक विशेषाधिक हैं, १२. ( उनसे ) सूक्ष्म- निगोद असंख्यातगुणे हैं, १३. (उनसे) बादर - वनस्पतिकायिक अनन्तगुणे हैं १४. ( उनसे ) बादर - जीव विशेषाधिक हैं, १५. (उनसे) सूक्ष्म-वनस्पतिकायिक असंख्यातगुणे हैं १६. ( और उनसे भी) सूक्ष्म - जीव विशेषाधिक हैं । ल २४८. एतेसि णं भंते! सुहुमअपज्जत्तयाणं सुहुमपुढविकाइयाणं अपज्जत्तगाणं सुहुमआउकाइयाणं अपज्जत्ताणं सुहुमतेउकाइयाणं अपज्जत्तयाणं सुहुमवाउकाइयाणं अपज्जत्तयाणं सुहुमवणप्फइकाइयाणं अपज्जत्तगाणं बादरतेउकाइयापज्जत्तयाणं बादरवाउकाइयापज्जत्तयाणं बादरवणप्फइकाइयापज्जत्तयाणं पत्तेयसरीरबादरवणप्फइकाइयापज्जत्तयाणं बादरणिगोदापज्जत्तयाणं बादरतसकाइयापज्जत्तयाणं कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा बादरतसकाइया अपज्जत्तगा १. बादरतेउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा २, पत्तेयसरीरबादरवणप्फइकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ३, बादरणिगोदा अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा ४, बादरपुढविकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ५, बादरआउक्वाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ६, बादरवाउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ७, सुहुमतेउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ८, सुहुमपुढविकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया ९, सुहुम आउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया १०, सुहुवाउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया ११, सुहुमणिगोदा
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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