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________________ ३५८ ] उड़ सकता है ? [ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [१०-१ उ.] हे गौतम! पहले कहे अनुसार जानना चाहिए; यावत् — इतने विकुर्वितरूप कभी बनाए नहीं, बनाता नहीं और बनायेगा भी नहीं । [ २ ] एवं दुहओपल्हत्थियं पि । [१०-२] इसी तरह दोनों तरफ पल्हथी लगाने वाले पुरुष के समान रूपविकुर्वणा के सम्बन्ध में जान लेना चाहिए । ११. [ १ ] से जहानामए केइ पुरिसे एगओपलियंकं काउं चिट्टेज्जा० ? तं चेव जाव विकुव्विंसु वा ३ । [११-१ प्र.] भगवन्! जैसे कोई पुरुष एक तरफ पर्यंकासन करके बैठे, उसी तरह क्या भावितात्मा अनगार भी उस पुरुष के समान रूप - विकुर्वणा करके आकाश में उड़ सकता है ? [११-१ उ.] ( गौतम !) पहले कहे अनुसार जानना चाहिए। यावत् — इतने रूप कभी विकुर्वित किये नहीं, करता नहीं, और करेगा भी नहीं । [ २ ] एवं दुहओपलियंकं पि । [११-२] इसी तरह दोनों तरफ पर्यंकासन करके बैठे हुए पुरुष के समान रूप - विकुर्वणा करने के सम्बन्ध में जान लेना चाहिए। विवेचन — भावितात्मा अनगार के द्वारा स्त्री आदि के रूपों की विकुर्वणा — प्रस्तुत ११ सूत्रों (सू. १ ११ तक) में विविध पहलुओं से भावितात्मा अनगार द्वारा स्त्री आदि विविधरूपों की विकुर्वणा करने के सम्बन्ध में निरूपण किया गया है। इन ग्यारह सूत्रों में निम्नोक्त तथ्यों का क्रमशः प्रतिपादन किया गया है— १. भावितात्मा अनगार बाह्य पुद्गलों को ग्रहण किये बिना स्त्री आदि के रूपों की विकुर्वणा नहीं कर सकता । २. वह बाह्यपुद्गलों को ग्रहण करके ऐसा कर सकता है। ३. वह इतने स्त्रीरूपों की विकुर्वणा कर सकता है, जिनसे सारा जम्बूद्वीप ठसाठस भर जाए, किन्तु वह ऐसा कभी करता नहीं, किया नहीं, करेगा भी नहीं । ४. इसी प्रकार स्त्री के अतिरिक्त स्यन्दमानिका तक के रूपों की विकुर्वणा के सम्बन्ध में समझ लेना चाहिए। ५. भावितात्मा अनगार (वैक्रियशक्ति से) संघादिकार्यवश तलवार एवं ढाल लेकर स्वयं आकाश में ऊँचा उड़ सकता है। ६. वह वैक्रियशक्ति से तलवार एवं ढाल हाथ में लिए पुरुष जैसे इतने रूप बना सकता है कि सारा जम्बूद्वीप उनसे ठसाठस भर जाए, किन्तु वह त्रिकाल में ऐसा करता नहीं ।
SR No.003442
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages569
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size12 MB
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