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________________ १२ पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् (क) मशकावती :- स्वात नदी का ही निचला भाग मशकावती नदी कहलाता था जिसके तट पर मशकावती नगरी विराजमान थी। महाभाष्य में मशकावती नदी का उल्लेख है (४।२७१)। (ख) पुष्कलावती :- यह भी व्याकरण-शास्त्र में एक नदी का नाम प्रसिद्ध है। काशिका में भी पुष्कलावती का नाम प्राचीन नदी-सूची में में आया है (४।२।८५, ६।१।२१९, ३।३।११९) । स्वात नदी के निचले भाग का नाम पुष्कलावती था। . वस्तुत:- सुवास्तु, गौरीनदी, कुभा और सिन्धु नदी के बीच का प्रदेश ही अष्टाध्यायी के प्रवक्ता पाणिनि मुनि की जन्मभूमि का पश्चिम भाग था। (२) सिन्धु :- प्राचीन सिन्धु नद आज की सिन्ध नदी है। सिन्धु के नाम से उसके पूर्वी तट की तरफ पंजाब में फैला हुआ प्राचीन सिन्धु जनपद (सिन्धु सागर दुआब) था। इस समय जो सिन्ध प्रान्त है उसका पुराना नाम 'सौवीर' था। सिन्ध नदी कैलास के पश्चिमी तटान्त से निकलकर कश्मीर को दो भागों में बांटती हुई गिलगिट-चिलास (प्राचीन दरद् देश) में घुसकर दक्षिण वाहिनी होती हुई दरद् के चरणों से पहली बार मैदान में उतरती है। अत: प्राचीन भारतवासी सिन्धु नदी को दारदी सिन्धु नदी कहते थे। अपने अन्तिम भाग में सिन्धु नदी सौवीर देश (४।१।१४८) में प्रवेश करती है और फिर समुद्र में मिल जाती है। यह प्रदेश सिन्धुकूल और सिन्धुवक्त्र कहलाता था। (३) विपाश :- वर्तमान व्यास नदी। (४) चन्द्रभाग :- वर्तमान चनाब नदी। (५) इरावती :- वर्तमान रावी नदी। (६) देविका :- महाभाष्य में देविका के किनारे उगनेवाले चावल दविकाकूला: शालयः' कहे गये हैं (७।३।१)। यह मद्र देश में बहनेवाली एक प्रसिद्ध नदी थी। यह रावी नदी की सहायक नदी थी। इसकी पहचान देग नदी के साथ की जाती है जो कि जम्मू की पहाड़ियों से निकलकर स्यालकोट, शेखुपुरा जिलों में होती हुई रावी नदी में मिल जाती है। (७) अजिरवती :- गंगा की कांठे की नदियों में अजिरवती नदी का नाम आया है (६।३।११९)। यही अजिरवती वर्तमान राप्ती नदी है। जिसके तट पर प्राचीन श्रावस्ती नगरी थी। (८) सरयू :- सरयू नामक प्रसिद्ध नदी तो कोसल जनपद में है (६।४।१७४)। पश्चिमी अफगानिस्तान की हरिरूद नदी जिसके तट पर हेरात बसा है, प्राचीन ईरानी भाषा में हरयू कहलाती थी, जो संस्कृत सरयू का ही रूप है। (९) चर्मण्वती :- विन्ध्याचल की नदियों में चर्मण्वती नदी का नाम आया है (८।२।१२)। इसका वर्तमान नाम चम्बल है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003298
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1998
Total Pages624
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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