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________________ जीवन की सांध्य-बेला (९) मथुरा का राजकीय जीवन और जरासंध से १७ बार युद्ध -आयु १३ से ३० सं० ३०१५–३०९८ वि० पूर्व (१०) द्वारिका को प्रस्थान और रुक्मिणी से विवाह -आयु ३१ वर्ष सं० ३०६७ वि० पूर्व (११) द्रौपदीस्वयंवर और पांडवों से मिलन --आयु ४३ ,, 7, ३०८५ (१२) अर्जुन-सुभद्रा विवाह -आयु ६५ ,, ,, ३०६३ ,, ,, (१३) अभिमन्यु-जन्म -आयु ६७ ,, ,, ३०६१ , " (१४) युधिष्ठिर का राजसूय यज्ञ-आयु ६८ ,, ,, ३०६० ,, , (१५) महाभारत का युद्ध -आयु ८३ ,, , ३०४५ ,,, की मार्गशीर्ष शुक्ल १४ (१६) कलियुग का आरम्भ और परीक्षित का जन्म -आयु ८४ वर्ष सं० ३०४४ वि० पूर्व की चैत्र शुक्ला १ (१७) श्रीकृष्ण का तिरोधान और द्वारिका का अन्त-आयु १२० वर्ष' सं० ३००८ वि० पूर्व (१८) परीक्षित का राज-तिलक और पाण्डवों का हिमालय प्रस्थान -सं० ३००७ वि० पूर्व कृष्ण का अन्तिम काल और यादवों की दुर्दशा : वैदिक परम्परा की दृष्टि से महाभारत के अनन्तर युधिष्ठिर को राज्यासीन कर कृष्ण द्वारिका चले गये। उस महायुद्ध का कूफल द्वारिका को भी भोगना पड़ा था। वहाँ के अनेक वीर, और गुणी पुरुषों की उस युद्ध में मृत्यु हो चुकी थी। जो यादव द्वारिका में रहे थे उनमें से अधिकांश दुर्व्यसनी और अनाचारी थे। कृष्ण १ वैदिक दृष्टि से श्रीकृष्ण १२० वर्ष की अवस्था में परमधाम को गये । महाभारत के अनुसार उस समय उनके पिता वसुदेव जीवित थे। श्रीकृष्ण वसुदेव के ८ वें पुत्र थे । यदि कृष्ण जन्म के समय वसुदेव की आयु ४० मानी जाय, तो श्री कृष्ण के तिरोधान के समय वसुदेव की आयु १६० वर्ष होती है। ---- व्रज का सांस्कृतिक इतिहास, द्वि-खण्ड पृ० ३१, प्रभुदयाल मीतल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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