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________________ भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण प्रार्थना के उत्तर में प्रद्युम्न ने स्पष्ट कहा - माता ! तुम्हारे मुंह से इस प्रकार के शब्द शोभा नहीं देते । प्रथम तो तुम मेरा लालनपालन करने के कारण मेरी माता हो, फिर विद्यादान देकर भी माता हुई। दो दृष्टियों से तुम मेरी माता हो, फिर ऐसी अनुचित बात क्यों कहती हो ? २४४ वनमाला ने प्रत्येक दृष्टि से प्रार्थना की पर कुंवर ने उसकी सभी प्रार्थनाएं ठुकरा दीं और वह वहां से चल दिया । कुवर के जाने के पश्चात् कनकमाला ने त्रियाचरित्र कर अपने पुत्र और पति को बताया कि प्रद्युम्न ने मेरे शीलव्रत को खण्डित कर दिया है । रानी की यह बात सुनते ही कालसंवर अत्यन्त क्रुद्ध हुआ । उसने उसी समय अपने पुत्रों को साथ लेकर प्रद्य मन पर हमला किया । पर प्रद्युम्न को कोई भी जीत न सका, सभी उससे पराजित हो गये । राजा ने रानी से विद्या मांगी, पर वह दे न सकी क्योंकि वह तो प्रद्युम्न को दे चुकी थी । राजा रानी के दुराचार को समझ गया । उसके बाद वह कुंवर से मिला, उसे बहुत ही पश्चात्ताप हुआ । इतने में नारद ऋषि वहां पर पहुँच गये । प्रज्ञप्ति विद्या से उसने नारद ऋषि को पहचान लिया, अतः कालसंवर विद्याधर से आज्ञा लेकर वह सीधा नारद ऋषि के साथ द्वारिका जाने के लिए प्रस्थित हुआ 1 ७० नारद ऋषि के साथ प्रद्युम्नकुमार द्वारिका पहुँचा । मार्ग में उसने नारद ऋषि से सारी बातें जान ली कि जब तुम गर्भ में थे तब ही सत्यभामा और तुम्हारी माता रुक्मिणी के बीच शर्त हुई थी । प्रद्य ुम्न ने देखा - द्वारिका में आनन्दोत्सव मनाया जा रहा है । समस्त द्वारिकावासी प्रसन्नता से फूले नहीं समा रहे हैं क्योंकि श्रीकृष्ण के पुत्र और सत्यभामा के अंगजात भामह का विवाह प्रसंग है । पर रुक्मिणी की आंखों से आंसुओं की धारा छूट रही है । वह अपने ७०. ( क ) त्रिषष्टि० ८ । ६ । १३० से ४०४ (ख) प्रद्य ुम्नचरित्र - ले० महासेनाचार्य (ग) प्रद्युम्नचरित्र महाकाव्य सर्ग - ५ ८ तक पृ० १०४ ० रत्नचन्द्रगणी (घ) प्रद्युम्नचरित्र - अनुवाद - चारित्र विजय पृ० १४५ तक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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