SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 270
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण राधिकोपनिषद 3 में राधिका की महिमा प्रतिपादित की गई है । पद्मपुराण [५४ में राधा का उल्लेख है और उसका महत्त्व बताया गया है । शिवपुराणकार५५ ने ब्रह्मा जी के द्वारा यह उद्घोषणा कराई है कि राधा साक्षात् गोलोक में निवास करने वाली गुप्त स्नेह में निबद्ध हुई कृष्ण की पत्नी होगी । नारदपुराण' में नारद ने राधिकानाथ कहकर कृष्ण की स्तुति की है । ब्रह्मवैवर्तपुराण" में राधा-कृष्ण की लीला का मुख्य रूप से वर्णन किया गया है । मत्स्य - पुराण एवं ब्रह्माण्डपुराण में भी राधा का उल्लेख हुआ है । ६ ९ २३८ ५३. राधिकोपनिषद्, ५४. देवी कृष्णमयी प्रोक्ता, राधिका परमदेवता । सर्वलक्ष्मी स्वरूपा सा कृष्णाह्लादस्वरूपिणी ।। ५३ । बहूना किं मुनिश्रेष्ठ विना ताभ्यां न किंचन । चिदचिल्लक्षणं सर्वं राधाकृष्णमयं जगत् ॥५७॥ - पद्मपुराण पातालखण्ड ५०।५३-५७ ५५. कलावती सुता राधा साक्षात् गोलोकवासिनी । गुप्तस्नेहनिबद्धा सा कृष्णपत्नी भविष्यति ॥ ४० ॥ - शिवपुराण, रुद्र संहिता २, पार्वती खण्ड ३ अ० २ ५६. तवास्मि राधिकानाथ ! कर्मणा मनसा गिरा । कृष्ण कान्तेति चैवास्ति युवामेव गतिर्मम ॥ ५७. आविर्बभूव कन्यैका - नारदपुराण, पूर्वार्ध अ० ८२ श्लोक २६ कृष्णास्य वामपार्श्वतः । धावित्वा पुष्पमानीय ददावर्ध्य प्रभोः पदे ||२५| रासे संभूय मोलोके सा दधाव हरेः पुरः । तेन राधा समाख्याता पुराविद्भिर्द्विजोत्तम ॥२६॥ - ब्रह्मवैवर्तपुराण, ब्रह्मखण्ड अ० ५ ५८. रुक्मिणी द्वारवत्यां तु राधा वृन्दावने वने । - आनन्दाश्रम सं० १३-३८ ५६. (क) राधा कृष्णात्मिका नित्यं कृष्णो राधात्मको ध्रुवम् । (ख) जिह्वा राधा स्रुतो राधा नेत्रे राधा हृदिस्थिता । सर्वाङ्गव्यापिनी राधैवाराध्यते मया || राधा -ब्रह्माण्डपुराण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy