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________________ २१६ भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण इसकी भुजाओं का मद उतारता हूँ। इतने में दूसरा मल्ल मुष्टिक भी अखाड़े में कूद पड़ा । तब उससे लड़ने के लिए बलराम अखाडे में उतरे । दोनों में भयंकर मल्लयुद्ध हुआ। कृष्ण और बलराम ने क्रमशः चाणूर और मुष्टिक को तृण के ढेर की तरह उछालकर एक तरफ फेंक दिया। चाणर उठा । उसने श्रीकृष्ण के उरुस्थल पर जोर से मष्टि का प्रहार किया। मष्टि के प्रहार से श्रीकृष्ण बेहोश हो गये । ४९ कृष्ण को बेहोश देखकर कंस प्रसन्न हुआ। उसने आंख से चाणर को संकेत किया कि इसे मार डालो। वह श्रीकष्ण को मारने के लिए उद्यत हुआ त्यों ही बलदेव ने उस पर ऐसा जोर का प्रहार किया कि चाणूर दूर जाकर गिर पड़ा। कुछ ही क्षणों में श्रीकृष्ण पूनः तैयार हो गये। उन्होंने चाणूर को फिर से ललकारा। दोनों भुजाओं के बीच में डालकर उसे ऐसा दबाया कि चाणर को रक्त का वमन होने लगा। आंखें फिर गई और कुछ ही क्षणों में वह निजीव हो गया। चाणर को मरा हुआ देखकर कंस चिल्ला उठा-इन अधम गोप बालकों को मार दो। इनका पोषण करने वाले नन्द को भी समाप्त कर दो । उसका सर्वस्व लूटकर यहां ले आओ और जो नन्द का पक्ष लें उन्हें भी मार डालो ।।१।। कंस की यह बात सुनते ही श्रीकृष्ण के नेत्र क्रोध से लाल सुर्ख हो गये। उनके रोम-रोम में से आग बरसने लगी। वे बोले-- अरे नराधम ! चाणर मर गया तथापि तू अपने आपको मरा हुआ नहीं समझता है ? मुझे मारने से पहले तू अपने प्राणों की रक्षा कर । इतना कहकर और सिंह की तरह उछलकर श्रीकृष्ण मंच पर चढ़ ४६. (क) त्रिषष्टि० ८।५।२८४-२६५ (ख) भव-भावना २४४३-२४५६ (ग) हरिवंशपुराण में कृष्ण के बेहोश होने का वर्णन नहीं है। ५०. (क) त्रिषष्टि० ८।५।२६६-३०० (ख) भव-भावना २४५७-२४६१ ५१. (क) त्रिषष्टि० ८।५।३०१-३०२ (ख) भव-भावना २४६२-२४६४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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